आगरा में ऐतिहासिक हवेली पर बुलडोजर कार्रवाई से सियासी हलचल

आगरा में ऐतिहासिक औरंगजेब की हवेली पर बुलडोजर चलाने से सियासी विवाद उत्पन्न हो गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ध्वस्त हिस्से के पुनर्निर्माण और शेष हिस्से के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह इमारत 17वीं सदी की मुगल धरोहर थी, जिसका ध्वस्त होना स्थानीय लोगों में आक्रोश का कारण बना है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और सियासी प्रतिक्रियाएं।
 | 
आगरा में ऐतिहासिक हवेली पर बुलडोजर कार्रवाई से सियासी हलचल

आगरा में ऐतिहासिक धरोहर पर बुलडोजर का हमला


आगरा में ऐतिहासिक धरोहर पर बुलडोजर की कार्रवाई ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने औरंगजेब की हवेली को गिराने के मामले में केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय से कानूनी कार्रवाई की मांग की है।


उन्होंने कहा कि ध्वस्त हिस्से का पुनर्निर्माण होना चाहिए और जो हिस्सा सुरक्षित है, उसका संरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।


अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐतिहासिक इमारतों पर बुलडोजर की कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने लिखा, 'आगरा में अवैध रूप से गिराई गई ऐतिहासिक धरोहर के मामले में हमारी संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व विभाग से निम्नलिखित मांगें हैं:
1. सभी दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और कानूनी कार्रवाई की जाए।
2. प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
3. जो हिस्सा ध्वस्त हुआ है, उसका पुनर्निर्माण तुरंत शुरू किया जाए।
4. जो शेष बचा है, उसका संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।' उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के शासन में न तो इतिहास सुरक्षित है और न ही भविष्य का निर्माण हो रहा है।


आगरा में ऐतिहासिक हवेली पर बुलडोजर कार्रवाई से सियासी हलचल


मामले की पृष्ठभूमि
आगरा में ऐतिहासिक इमारत मुबारक मंजिल, जिसे औरंगजेब की हवेली कहा जाता है, को एक बिल्डर ने बुलडोजर से गिरा दिया है। इस इमारत का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा ध्वस्त हो गया है। यह इमारत 17वीं सदी के मुगल इतिहास की धरोहर थी, जिसे औरंगजेब ने सामोगढ़ की लड़ाई में जीत के बाद बनवाया था। इसके बाद शाहजहां, शुजा और ब्रिटिश अधिकारियों ने भी इसका उपयोग किया। इस इमारत के ध्वस्त होने से स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है।


सितंबर में राज्य पुरातत्व विभाग ने मुबारक मंजिल के संरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। हाल ही में अधिकारियों ने इसका निरीक्षण भी किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद इसे तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया।