आंध्र प्रदेश में चुनावों के लिए बच्चों की संख्या पर नया कानून प्रस्तावित

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसमें कहा गया है कि केवल वे नेता जो दो से अधिक बच्चों के माता-पिता हैं, पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग ले सकेंगे। यह कदम बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या को हल करने के लिए उठाया गया है। नायडू का मानना है कि तेलुगू परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की सोच और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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आंध्र प्रदेश में चुनावों के लिए बच्चों की संख्या पर नया कानून प्रस्तावित

मुख्यमंत्री का विवादास्पद बयान

Only leaders who have more than 2 children will be able to contest elections, this state is preparing to make a law


आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें उन्होंने कहा कि केवल वे नेता जो दो से अधिक बच्चों के माता-पिता हैं, पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग ले सकेंगे। यह बयान तब आया है जब आंध्र प्रदेश विधानसभा ने एक पुराना कानून रद्द कर दिया है, जो दो बच्चों से अधिक वाले व्यक्तियों को स्थानीय चुनावों में भाग लेने से रोकता था।


बच्चों की संख्या को बढ़ावा देने की आवश्यकता

चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे पर पिछले एक दशक से अपनी राय रखी है। उनका मानना है कि तेलुगू परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या का समाधान किया जा सके। पिछले वर्ष, उन्होंने इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।


उनके इस बयान के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इसी विचार को साझा करते हुए लोगों से अधिक बच्चों को जन्म देने की अपील की।


नए नियमों का प्रस्ताव

मकर संक्रांति के अवसर पर, चंद्रबाबू नायडू ने अपने गृह नगर नरवरिपल्ले में कहा, "पहले हमारे पास एक कानून था, जो केवल दो बच्चों वाले लोगों को ही स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेने की अनुमति देता था। अब मैं कहता हूं कि जिनके पास कम बच्चे होंगे, वे चुनावों में भाग नहीं ले सकेंगे।"


उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सरपंच, नगरपालिका पार्षद या मेयर बनने के लिए दो से अधिक बच्चों का होना आवश्यक होगा।


दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रजनन दर

दक्षिण भारतीय राज्यों में दो बच्चों की नीति सामान्य रूप से अपनाई जाती रही है, जिसका प्रमाण इन राज्यों की कुल प्रजनन दर 1.73 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.1 है। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड जैसे बड़े राज्यों की प्रजनन दर 2.4 है।


प्रोत्साहन योजना का प्रस्ताव

चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि वह अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना पर काम कर रहे हैं। इस योजना के तहत, उन्हें पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग लेने की अनुमति देने के साथ-साथ अधिक सब्सिडी वाले चावल की आपूर्ति भी की जाएगी।


वर्तमान में, प्रत्येक परिवार को 25 किलो चावल दिया जाता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य को 5 किलो चावल मिलता है।


अंतरराष्ट्रीय उदाहरण

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जापान, कोरिया और कई यूरोपीय देशों ने परिवार नियोजन नीति को प्रोत्साहित किया है, क्योंकि वहां का कुल प्रजनन दर बहुत कम है। ये देश आज बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या से जूझ रहे हैं और भारतीयों को अपने देशों में बसने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।


उन्होंने चेतावनी दी कि भारत को भी इस दिशा में ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यदि परिवारों को सीमित संख्या में बच्चों तक सीमित करने की सलाह दी जाती है, तो कुछ वर्षों में भारत भी बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या का सामना करेगा।