आंध्र प्रदेश का रहस्यमयी श्री यागंती उमामहेश्वर मंदिर

श्री यागंती उमामहेश्वर मंदिर का रहस्य
भारत में अनेक प्राचीन मंदिर हैं, जो अपने अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक है आंध्र प्रदेश का शिव मंदिर, जो कुरनूल में स्थित है।
इस मंदिर का नाम श्री यागंती उमामहेश्वर है। यहां नंदी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, और इसके पीछे का रहस्य अब तक किसी को नहीं पता चला है।
विज्ञानियों का मानना है कि नंदी की प्रतिमा का आकार हर 20 वर्षों में एक इंच बढ़ता है। यदि यह वृद्धि जारी रही, तो मंदिर के खंभों को हटाना पड़ेगा। मान्यता है कि जब कलियुग समाप्त होगा, तब यह विशाल नंदी जीवित हो जाएगा और महाप्रलय आएगा।
यह मंदिर वैष्णव परंपरा के अनुसार निर्मित है और इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर बुक्का राय ने किया था। यह प्राचीन पल्लव, चोल, चालुक्य और विजयनगर शासकों की वास्तुकला को दर्शाता है। इस मंदिर की स्थापना महर्षि अगस्त्य द्वारा की गई थी।
कहा जाता है कि शिव जी ने महर्षि अगस्त्य से कहा कि यह स्थान कैलाश के समान है, इसलिए यहां उनका मंदिर बनाना उचित है। महर्षि ने शिव से अनुरोध किया कि वे भक्तों को एक ही पत्थर में उमा महेश्वर के रूप में दर्शन दें। शिव ने सहमति दी और यहां उनकी अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा की जाती है।
इस मंदिर के आसपास कौवे कभी नहीं दिखाई देते। ऐसा कहा जाता है कि यह महर्षि अगस्त्य के श्राप के कारण है। पुराणों के अनुसार, जब महर्षि ध्यान कर रहे थे, तब कौवे उन्हें परेशान कर रहे थे, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने उन्हें श्राप दिया कि वे यहां न दिखें।