आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने जगन को अस्थायी राहत दी, FIR के आधार पर सवाल उठाए

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को रेंटापल्ला यात्रा के दौरान एक पार्टी कार्यकर्ता की मृत्यु के मामले में अस्थायी राहत प्रदान की है। न्यायालय ने पुलिस को कोई कठोर कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है और FIR के आधार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, और जगन ने NDA सरकार के खिलाफ एक पांच सप्ताह का कार्यक्रम शुरू किया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
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आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने जगन को अस्थायी राहत दी, FIR के आधार पर सवाल उठाए

उच्च न्यायालय का आदेश

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री और YSRCP प्रमुख जगन मोहन रेड्डी को रेंटापल्ला यात्रा के दौरान एक पार्टी कार्यकर्ता की मृत्यु के मामले में अस्थायी राहत प्रदान की।


पुलिस को कार्रवाई से रोका गया

पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी द्वारा दायर क्वाश याचिका की सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी और पुलिस को तब तक कोई कठोर कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।


मामले की गंभीरता पर सवाल

उच्च न्यायालय ने यह गंभीर सवाल उठाया कि जब घटना सड़क दुर्घटना से संबंधित है, तो कार में मौजूद लोगों के खिलाफ मामले कैसे दर्ज किए जा सकते हैं।


FIR रद्द करने की याचिका

यह याचिका पार्टी कार्यकर्ता चेली सिंगैया की दुखद मृत्यु के संबंध में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग करती है। जगन के अलावा, मामले में अन्य आरोपियों ने भी इसी तरह की याचिकाएँ दायर की हैं।


अस्थायी राहत का महत्व

उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश पुलिस को जल्दबाजी या प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करने से रोकता है, जैसा कि YSRCP ने बताया।


घटना का विवरण

पीड़ित को हाल ही में गुनटूर जिले के रेंटापल्ला गांव में जगन की बुलेटप्रूफ गाड़ी द्वारा टक्कर मारी गई थी। इस घटना ने व्यापक जन ध्यान आकर्षित किया है और विवाद को जन्म दिया है।


पुलिस की कार्रवाई

मंगलवार की शाम, पुलिस ने इस मामले की जांच के तहत घटना में शामिल वाहन को जब्त कर लिया। हालांकि, पार्टी का कहना है कि यह मामला राजनीतिक प्रेरित है और उन्होंने आरोपों को रद्द करने के लिए कानूनी उपाय मांगे हैं।


राजनीतिक गतिविधियाँ

इस बीच, जगन मोहन रेड्डी ने NDA गठबंधन सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है और 'चंद्रबाबू के घोषणापत्र की पुनः स्मरण' नामक पांच सप्ताह के कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसमें पार्टी चुनावी वादों को जनता के सामने लाएगी और उनके कार्यान्वयन में विफलता को उजागर करेगी।