अहमदाबाद विमान हादसे में जीवित बचे विश्वकुमार रमेश की दर्दनाक कहानी

12 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 241 लोग मारे गए। इस हादसे में एकमात्र जीवित बचे विश्वकुमार रमेश की कहानी बेहद दर्दनाक है। वह अपने भाई को खोने के बाद मानसिक आघात से जूझ रहे हैं और हर रात उस भयावह घटना की यादों से परेशान हैं। जानिए कैसे यह हादसा न केवल उनकी जिंदगी को बदल दिया, बल्कि भारत की एविएशन सुरक्षा पर भी सवाल उठाए।
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना का भयावह मंजर

12 जून की सुबह, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही क्षणों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह विमान केवल 40 सेकंड तक हवा में रहा और फिर एक इमारत से टकराकर आग में तब्दील हो गया। इस हादसे में एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति विश्वकुमार रमेश हैं, जो अब इस त्रासदी के बाद मानसिक आघात से जूझ रहे हैं।


दुर्घटना की समयरेखा

12 जून, 2025 को, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी। यह लंदन जाने वाला बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान 40 सेकंड के भीतर ही एक छात्रावास की छत से टकरा गया। इस घटना की समयरेखा इस प्रकार है: 13:38:39 पर उड़ान भरी, 13:38:42 पर अधिकतम गति 180 नॉट दर्ज की गई, और 13:39:05 पर पायलटों ने संकट कॉल जारी किया।


रमेश की जीवित रहने की कहानी

विश्वकुमार रमेश, जो इस फ्लाइट में अपने भाई के साथ थे, सीट नंबर 11A पर बैठे थे। वह उस हिस्से में थे, जो दुर्घटना के समय अलग होकर जमीन पर गिर गया। रमेश को मामूली चोटें आईं, लेकिन वह मलबे से बाहर निकलने में सफल रहे। अस्पताल में पांच दिन बिताने के बाद, उन्होंने अपने भाई के अंतिम संस्कार में भाग लिया।


पुनर्वास की कठिनाइयाँ

अब लंदन लौट चुके विश्वकुमार रमेश हर दिन थेरेपी के लिए जाते हैं। वह अपने भाई के बिना अपने घर को सुनसान महसूस करते हैं और उस दिन की यादें उन्हें परेशान करती हैं। वह कहते हैं कि जब वह सोने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें आग और चीखें सुनाई देती हैं।


दुर्घटना की जांच और सुरक्षा चिंताएँ

इस विमान दुर्घटना की जांच में तकनीकी खामियों का पता चला है। उड़ान के 20 सेकंड बाद, इंजन नंबर 2 में फ्यूल प्रेशर गिर गया था। अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत की एविएशन सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, जिससे यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।


परिवारों की न्याय की तलाश

दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को एयर इंडिया और टाटा ग्रुप द्वारा मुआवजे की पेशकश की गई है। हालांकि, कई परिवार अभी भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। इस हादसे ने भारत में एविएशन सुरक्षा के प्रति विश्वास को भी कमजोर किया है।


विश्वकुमार की जिंदगी का नया अध्याय

विश्वकुमार रमेश के लिए, यह हादसा एक ऐसा अनुभव है जिसे वह कभी नहीं भुला सकते। उनकी जिंदगी अब एक ऐसे कैलेंडर की तरह है, जिसमें हर दिन की तारीख 12 जून है, वह दिन जब उन्होंने अपने प्रिय को खो दिया।