असम: विकास और सुरक्षा का नया प्रतीक

असम अब भारत की सामरिक मजबूती और विकास का प्रतीक बन चुका है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बांग्लादेश के नेताओं की भड़काऊ बयानबाज़ी का जवाब देते हुए भारत की शक्ति को उजागर किया है। असम ने उग्रवाद से लड़ाई लड़ी है और अब विकास की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के आगामी दौरे से असम की नई पहचान और भी स्पष्ट होगी। जानें कैसे असम अब औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर है।
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असम: विकास और सुरक्षा का नया प्रतीक

असम की नई पहचान

असम अब भारत की सामरिक मजबूती और आत्मविश्वास का प्रतीक बनता जा रहा है। जबकि बांग्लादेश के कुछ नेता भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के बारे में भड़काऊ बयान दे रहे हैं, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत न तो कमजोर है और न ही चुप रहने वाला है। उनकी सरकार ने यह सिद्ध कर दिया है कि असम अब उग्रवाद, पिछड़ेपन और हाशिये की राजनीति से बाहर निकलकर विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में खड़ा है।


बांग्लादेश के नेताओं की बयानबाज़ी

हाल ही में, बांग्लादेश के कुछ नेताओं ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को 'अलग-थलग' करने की बातें की हैं। यह न केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी गंभीर खतरा है। मुख्यमंत्री सरमा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में बांग्लादेश को अपनी 'कमज़ोर नसों' पर ध्यान देना चाहिए।


असम का विकास

पहले उत्तर-पूर्व को 'दूरस्थ इलाका' माना जाता था, लेकिन अब यह भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। असम और पूरा उत्तर-पूर्व अब राजनीतिक उपेक्षा का शिकार नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता बन चुके हैं। मुख्यमंत्री सरमा के नेतृत्व में राज्य ने उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी है। बोडो, कार्बी, आदिवासी और अन्य संगठनों के साथ शांति समझौते कर असम को लंबे समय से चली आ रही हिंसा से बाहर निकाला गया है।


प्रधानमंत्री का दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के आगामी दौरे के दौरान असम की नई पहचान और भी स्पष्ट होगी। प्रधानमंत्री द्वारा लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत से बने गुवाहाटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन असम की विकास यात्रा को दर्शाएगा। यह टर्मिनल असमिया संस्कृति से प्रेरित है और विकास की जड़ों को बनाए रखने का संदेश देता है।


औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर

डिब्रूगढ़ को दूसरी राजधानी के रूप में विकसित करने और नामरूप खाद कारखाने के विस्तार की योजना असम को औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जा रही है। यह 10,000 करोड़ रुपये की परियोजना न केवल किसानों को राहत देगी, बल्कि असम को उर्वरक उत्पादन में भी मजबूत बनाएगी।


असम की नई दिशा

आज असम वह राज्य नहीं रहा जिसे कभी उग्रवाद और अस्थिरता के लिए जाना जाता था। अब यह राज्य सीमाओं पर सतर्क है, भीतर से मजबूत है और विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। बांग्लादेश के कुछ नेताओं की बयानबाज़ी दरअसल इसी बदले हुए असम की खीझ है। लेकिन मुख्यमंत्री सरमा के नेतृत्व में असम ने स्पष्ट कर दिया है कि यह राज्य न धमकियों से डरता है और न ही विकास के पथ पर रुकता है।