असम में विशेष मतदाता रिवीजन: SIR की जगह SR का चयन
असम में मतदाता रिवीजन की नई प्रक्रिया
असम में SIR की जगह SR लागू किया गया है.
चुनाव आयोग ने बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की शुरुआत की घोषणा की थी। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं। लेकिन जब यह सूची जारी की गई, तो असम का नाम अनुपस्थित था, जिससे सवाल उठने लगे कि ऐसा क्यों हुआ?
असम में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए यह अपेक्षित था कि वहां भी SIR लागू किया जाएगा। लेकिन आयोग ने असम के लिए एक अलग निर्णय लिया। सोमवार को आयोग ने बताया कि असम में SIR के बजाय ‘स्पेशल रिवीजन’ (SR) किया जाएगा। यह प्रक्रिया SIR से भिन्न है और केवल असम की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है।
अब सवाल यह है कि असम को अलग प्रक्रिया क्यों दी गई और SIR तथा स्पेशल रिवीजन में क्या अंतर है? आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
असम की स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न
असम एक भारतीय राज्य होते हुए भी कई मामलों में अन्य राज्यों से अलग है। यह एक सीमावर्ती राज्य है और यहां नागरिकता, विदेशी पहचान, और NRC जैसे मुद्दे दशकों से संवेदनशील रहे हैं। यही वह राज्य है जहां NRC की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई। आज भी नागरिकता और विदेशी नागरिकों से संबंधित कई मामले अदालत में लंबित हैं। इसलिए असम में मतदाता सूची का कोई भी रिवीजन केवल वोटर लिस्ट सुधार नहीं माना जाता, बल्कि यह नागरिकता से जुड़ा मामला बन जाता है। यदि SIR जैसा गहन सत्यापन यहां लागू किया जाता, तो नागरिकता विवाद और कानूनी उलझनें बढ़ सकती थीं। इसी कारण चुनाव आयोग ने असम को अन्य राज्यों से अलग रखा।
असम के लिए अपनाया गया तरीका
चुनाव आयोग ने असम के लिए एक विशेष मॉडल चुना है, जिसे स्पेशल रिवीजन (SR) कहा जाता है। सामान्यतः हर साल जो मतदाता सूची अपडेट होती है, उसे समरी रिवीजन कहा जाता है, जिसमें गलत नाम हटाए जाते हैं और नए नाम जोड़े जाते हैं। वहीं, SIR में नागरिकता सहित हर दस्तावेज की गहन जांच होती है। लेकिन असम में आयोग ने जो SR लागू किया है, उसमें बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर केवल उन नामों और जानकारियों की पुष्टि करेंगे जो पहले से रजिस्टर में हैं। इसमें पूरी नई सूची तैयार नहीं की जाएगी। इसका मतलब है कि सूची को सही किया जाएगा, लेकिन SIR जैसी गहन जांच नहीं होगी। यह तरीका विवादों को कम करता है और प्रशासन के लिए इसे पूरा करना आसान बनाता है।
स्पेशल रिवीजन की समयसीमा
- 22 नवंबर से 20 दिसंबर तक BLO घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी की जांच करेंगे।
- 27 दिसंबर को सभी मतदाताओं की जानकारी लेने के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।
- 01 जनवरी 2026 की तारीख कट-ऑफ है। यानी इस तारीख तक 18 साल के होने वाले सभी नागरिक वोटर लिस्ट में शामिल किए जा सकते हैं।
- 10 फरवरी 2026 को आपत्तियों और सुधारों के बाद अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी।
चुनाव आयोग का निर्णय
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि असम की परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न हैं। नागरिकता कानून के तहत असम के लिए कुछ विशेष प्रावधान हैं। NRC और विदेशी नागरिकों की पहचान से जुड़े मामलों की सुनवाई अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। ऐसी स्थिति में SIR लागू करना कई कानूनी और प्रशासनिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता था। यह तनाव भी बढ़ा सकता था, इसलिए आयोग ने SIR के बजाय SR को चुना।
वास्तव में, असम में नागरिकता को लेकर दशकों से विवाद रहा है। यहां पूरी मतदाता सूची का व्यापक स्तर पर जांचना कई तरह के विरोध और राजनीतिक तनाव को जन्म दे सकता था। इसलिए आयोग ने ऐसा तरीका चुना जो संतुलित हो और राज्य की संवेदनशीलता को बनाए रखे।
मुख्यमंत्री सरमा का स्वागत
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने चुनाव आयोग के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने X पर लिखा कि चुनाव आयोग का यह निर्णय राज्य में एक साफ और भरोसेमंद मतदाता सूची तैयार करने के लिए सही कदम है। असम सरकार, नागरिकता और NRC मुद्दों पर पहले से ही कड़ा रुख रखती आई है। लेकिन इस बार चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन ने मिलकर चर्चा की और एक ऐसा मॉडल तय किया जो कानूनी रूप से भी सुरक्षित है और प्रशासनिक रूप से भी आसान है।
