असम में मियांलैंड की मांग पर विवाद: मुख्यमंत्री ने खारिज किया

असम के गोलाघाट जिले में मियांलैंड की मांग ने विवाद खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा है कि यह असम के सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुँचाने की कोशिश है। इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आ रही हैं, जिसमें भाजपा ने कांग्रेस पर बांग्लादेशी घुसपैठ का आरोप लगाया है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और असम सरकार की कार्रवाई के बारे में।
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असम में मियांलैंड की मांग पर विवाद: मुख्यमंत्री ने खारिज किया

असम में मियांलैंड की मांग का विवाद

गोलाघाट जिले में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद कुछ लोगों द्वारा मियांलैंड की मांग ने असम में व्यापक आक्रोश उत्पन्न किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस मांग को दृढ़ता से खारिज कर दिया है, यह दर्शाते हुए कि कुछ तत्व असम के सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। मियांलैंड की मांग न केवल भारत के संविधान को चुनौती देती है, बल्कि यह पहचान की राजनीति, अवैध घुसपैठ और मूल निवासियों के अधिकारों पर गंभीर सवाल भी उठाती है।


अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई और मियांलैंड की मांग

उरियामघाट में अतिक्रमण हटाने के दौरान एक अवैध अतिक्रमणकारी ने कहा, "अगर बड़े लोग बोडोलैंड की मांग कर सकते हैं, तो हम मियां लोग भी मियांलैंड की मांग कर सकते हैं।" यह तुलना न केवल गलत है, बल्कि यह राज्य के मूल निवासियों के संघर्ष का अपमान भी है। बोडोलैंड आंदोलन एक शांतिपूर्ण संघर्ष पर आधारित था, जबकि मियांलैंड की मांग अवैध अतिक्रमण से जुड़ी है।


अवैध घुसपैठ का मुद्दा

असम में "मियां" शब्द का उपयोग बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए किया जाता है, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेश से आए प्रवासियों के वंशज माने जाते हैं। 1971 के बाद से अवैध घुसपैठ ने असम की जनसांख्यिकी को बदल दिया है, जो 1979-1985 के असम आंदोलन का कारण बना।


अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई

गोलाघाट जिले के रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट में लगभग 11,000 बीघा भूमि अवैध कब्जे में थी। सरकार ने पहले चरण में 4.2 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमणमुक्त किया और 120 से अधिक अवैध ढांचों को ध्वस्त किया।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

असम भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासन के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ ने असम की जनसांख्यिकी को बदल दिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने अब तक 182 वर्ग किलोमीटर भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया है।


मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में अवैध अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। उनका संदेश स्पष्ट है कि असम में अलगाववाद को कोई स्थान नहीं है और राज्य की सांस्कृतिक और भौगोलिक अखंडता की रक्षा की जाएगी।