असम में भाषा और पहचान पर विवाद: मुख्यमंत्री सरमा का बयान
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने जनगणना में मातृभाषा के रूप में बंगाली का उल्लेख विदेशी नागरिकों की संख्या को दर्शाने वाला बताया। इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी बहस को जन्म दिया है। ABMSU के नेता मैइनुद्दीन अली के बयान के जवाब में सरमा का यह बयान आया है, जो असम की बहुभाषी पहचान और नागरिकता के मुद्दों को उजागर करता है। इस लेख में हम असम में चल रहे अतिक्रमण रोधी अभियान, राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और मुख्यमंत्री के अन्य बयानों पर भी चर्चा करेंगे।
Jul 11, 2025, 18:14 IST
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मुख्यमंत्री सरमा का बयान और विवाद
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजने के साथ-साथ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया को तेज किया है। इसके साथ ही, वह असम की सांस्कृतिक धरोहर, भाषा और प्राचीन परंपराओं के संरक्षण के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, सरमा ने यह भी स्पष्ट किया कि "जनगणना में मातृभाषा के रूप में बंगाली का उल्लेख विदेशी नागरिकों की संख्या को दर्शाएगा।" उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी बहस को जन्म दिया है। यह टिप्पणी ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (ABMSU) के नेता मैइनुद्दीन अली की उस चेतावनी के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बंगाली भाषी मुस्लिम अब जनगणना में असमिया को मातृभाषा के रूप में नहीं लिखेंगे। यह मुद्दा केवल भाषा का नहीं है, बल्कि यह पहचान, नागरिकता, राजनीतिक एजेंडा और सामाजिक विभाजन का जटिल मिश्रण है।
भाषा का महत्व और सामाजिक प्रभाव
असम जैसे बहुभाषी और बहुजातीय राज्य में, भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का आधार भी है। मुख्यमंत्री सरमा का बयान यह दर्शाता है कि राज्य सरकार भाषा को एक उपकरण के रूप में देख रही है, जिससे 'विदेशी' या 'घुसपैठियों' की पहचान की जा सके। दूसरी ओर, ABMSU का तर्क है कि भाषा का चुनाव लोगों की अपनी पहचान का अभिव्यक्ति है, न कि किसी विशेष राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा।
NRC और अतिक्रमण का मुद्दा
NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के बाद से यह धारणा बनी है कि बंगाली भाषी मुस्लिम बाहरी हैं, विशेषकर बांग्लादेश से आए लोग। हाल ही में धुबरी जिले में 3,500 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ABMSU के विरोध का मुख्य कारण है। इस ज़मीन पर अदाणी समूह के 3,400 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट का प्रस्ताव है। ABMSU और स्थानीय लोगों का आरोप है कि उनके पारंपरिक आवास और आजीविका को ताक पर रखकर कॉर्पोरेट हितों के लिए जबरन विस्थापन किया जा रहा है, जबकि सरकार इसे 'अतिक्रमण हटाना' और 'विकास' का नाम दे रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
मैइनुद्दीन अली के बयान पर सभी दलों ने विरोध जताया है और उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई है। गुवाहाटी के दिसपुर थाने में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। यह दर्शाता है कि असम में भाषा और पहचान से जुड़ा कोई भी बयान कितना संवेदनशील है। भाषा के नाम पर समुदायों को विभाजित करने की प्रक्रिया से सामाजिक सौहार्द को गहरी चोट पहुँच सकती है। यदि लोग भय या दबाव में भाषा का चयन करेंगे, तो जनगणना के आंकड़े पक्षपातपूर्ण और असंतुलित होंगे।
मुख्यमंत्री का अतिक्रमण रोधी अभियान
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने जोर देते हुए कहा है कि पिछले चार वर्षों में राज्य भर में 25,000 एकड़ से अधिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। कांग्रेस ने इस अभियान की आलोचना करते हुए वादा किया है कि यदि विपक्षी पार्टी सत्ता में आती है, तो भारतीय जनता पार्टी शासन के दौरान भूमि से बेदखल किए गए सभी भारतीय नागरिकों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। सरमा ने कहा कि वह अगले सप्ताह एक और प्रेस वार्ता करेंगे और अतिक्रमण रोधी अभियान से संबंधित सभी आंकड़े प्रस्तुत करेंगे। धुबरी के कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने भी कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई, तो भाजपा सरकार के तहत चलाए गए अभियानों में बेदखल किए गए सभी भारतीय नागरिकों को मुआवजा दिया जाएगा।
धर्मांतरण और असम की प्राचीन आस्थाएँ
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया है कि स्वदेशी धार्मिक आस्थाओं को धर्मांतरण समेत विभिन्न कारकों से नुकसान पहुंचा है। सरमा ने तामुलपुर के गुरमौ में एक नवनिर्मित बाथौ मंदिर का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘आपमें से कितने लोगों ने असम के बाथौ धर्म के बारे में सुना है? हमारे प्राचीन स्वदेशी धर्मों और आस्थाओं को कई कारणों से बहुत नुकसान हुआ है- उनमें से एक धर्मांतरण है।’’ उन्होंने राज्य के बोडो समुदाय की प्राचीन आस्था को मान्यता देते हुए दिसपुर में बाथौ थानसाली के निर्माण की भी घोषणा की। सरमा ने कहा कि राज्य सरकार इन प्राचीन आस्थाओं को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।