असम में चुनावी राजनीति में एआई का प्रवेश: एक नई चुनौती

एआई का राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश
आज के डिजिटल युग में, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में क्रांति ला रहा है, यह स्वाभाविक था कि यह राजनीति में भी कदम रखे।
चुनावों का मौसम नजदीक आते ही, एआई ने असम की राजनीतिक गतिविधियों में हलचल मचा दी है, जिससे चुनावी अभियानों के तरीके में बदलाव की संभावना बढ़ गई है।
चुनावों की तैयारी में एआई का उपयोग
बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) चुनाव केवल चार दिन दूर हैं और 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है, ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने अपने संदेशों को प्रभावी बनाने के लिए एआई का सहारा लिया है।
सोमवार से, असम भाजपा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया चैनलों पर कई वीडियो साझा किए हैं, जिसमें अवैध प्रवासियों के बढ़ते खतरे का उल्लेख किया गया है।
विवादास्पद वीडियो और राजनीतिक प्रतिक्रिया
एक वीडियो में 'बिना भाजपा के असम' का टैगलाइन था, जिसमें एआई द्वारा निर्मित छवियों के माध्यम से मुसलमानों को गुवाहाटी, हवाई अड्डे, स्टेडियम, चाय बागानों और ऐतिहासिक रंग घर में दिखाया गया।
इसका तात्कालिक प्रभाव पड़ा। गुरुवार को, कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष गौरव गोगोई और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया।
एआई का राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग
भाजपा ने वीडियो में एआई के उपयोग की पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह एकतरफा लड़ाई नहीं है। हाल के महीनों में, कांग्रेस ने भी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सिंथेटिक सामग्री का सहारा लिया है।
सितंबर 2025 में, कांग्रेस ने एक एआई-निर्मित वीडियो साझा किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के बीच काल्पनिक बातचीत दिखाई गई। इस वीडियो को अपमानजनक और भ्रामक मानते हुए व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा।
एआई के दुरुपयोग पर निगरानी
चुनावों से पहले एआई-निर्मित सामग्री के बढ़ते खतरे को देखते हुए, असम पुलिस ने नागरिकों को गलत जानकारी फैलाने या झूठे दावों को साझा करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
फरवरी में, पुलिस ने एक सोशल मीडिया सलाह जारी की, जिसमें सिंथेटिक मीडिया के बारे में बताया गया।
राजनीति में एआई का भविष्य
असम अकेला नहीं है। पूरे भारत में राजनीतिक दल जनरेटिव एआई का उपयोग कर रहे हैं।
हालांकि, असम की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति इसे एक उच्च जोखिम वाला क्षेत्र बनाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एआई का उपयोग राजनीतिक प्रचार में पारदर्शिता और नैतिकता के बिना किया जाना चिंताजनक है।