असम में आदिवासी समुदाय के लिए हथियार लाइसेंस योजना की मंजूरी
असम सरकार ने एक नई योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत बांग्लादेश सीमा के निकट रहने वाले आदिवासी लोगों को हथियारों के लाइसेंस दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय को महत्वपूर्ण बताया है, जो स्थानीय लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से है। उन्होंने कहा कि यह योजना अवैध खतरों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगी। जानें इस योजना के पीछे के कारण और मुख्यमंत्री का विस्तृत बयान।
May 29, 2025, 12:52 IST
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असम सरकार की नई योजना
असम सरकार ने एक नई योजना को स्वीकृति दी है, जिसके तहत बांग्लादेश सीमा के निकट स्थित संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोगों को हथियारों के लाइसेंस प्रदान किए जाएंगे। इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की संख्या अधिक है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को अपने क्षेत्र में या पड़ोसी देश से संभावित आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करना है। असम सरकार के कैबिनेट नोट में उल्लेख किया गया है कि यह योजना अवैध खतरों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगी, जिससे व्यक्तियों और समुदायों की सुरक्षा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय को महत्वपूर्ण और संवेदनशील बताया। उन्होंने कहा कि धुबरी, नागांव, मोरीगांव, बारपेटा, साउथ सालमारा और मानकाचर जैसे जिलों में, जहां बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की बहुलता है, स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और उन्हें निरंतर असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, विशेषकर हाल की घटनाओं के कारण। उन्होंने यह भी कहा कि ये स्वदेशी लोग अपने गांवों या बांग्लादेश से हमलों का शिकार हो सकते हैं। यह निर्णय भाजपा की 'जाति, माटी और भेती' (पहचान, भूमि और मातृभूमि) की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार उन पात्र व्यक्तियों को, जो मूल निवासी हैं और स्वदेशी समुदाय से संबंधित हैं, हथियार लाइसेंस देने में उदारता बरतेगी।" सरमा ने बताया कि यह मांग 1985 से चली आ रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने अब तक ऐसा साहसिक निर्णय नहीं लिया। उन्होंने कहा, "यदि हमने यह निर्णय पहले लिया होता, तो स्वदेशी लोगों को अपनी ज़मीनें नहीं बेचना पड़ता।" मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य से अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की निर्वासन प्रक्रिया के कारण स्वदेशी लोगों की चिंताएँ और बढ़ गई हैं। सरमा ने कहा, "सरकार संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करेगी और वहाँ स्वदेशी लोगों को उदारता से हथियार लाइसेंस दिए जाएंगे। गुवाहाटी के हाटीगाँव जैसे क्षेत्रों को भी संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "सरकार स्वदेशी लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही है और यह हथियार लाइसेंस उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा देगा।" मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह योजना नोटिफिकेशन जारी होने के 24 घंटों के भीतर प्रभाव में आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है। कुछ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं।''
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा है कि राज्य में मुस्लिम आबादी की वृद्धि के कारण असम की जनसांख्यिकी अगले 20 वर्षों में बदल जाएगी। उनका दावा है कि 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि 2011 में असम में 1.4 करोड़ मुसलमान थे, और यह एक वास्तविकता है जिसे कोई नहीं रोक सकता।