असम के मुख्यमंत्री ने बेदखली पर सख्त चेतावनी दी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बेदखली के मुद्दे पर सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि बेदखल व्यक्तियों को आश्रय देने से स्थिति फिर से खराब हो सकती है। शर्मा ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जारी रखने की बात की और जनता से सहयोग की अपील की। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में अभी भी बड़ी मात्रा में भूमि अतिक्रमण के अधीन है। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और सरकार की योजनाएं।
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असम के मुख्यमंत्री ने बेदखली पर सख्त चेतावनी दी

मुख्यमंत्री की चेतावनी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि बेदखल किए गए व्यक्तियों को आश्रय देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने से 'हमारे लोगों की स्थिति', जो पहले से ही बेदखली और अन्य उपायों के कारण सुधरी है, फिर से 'खराब' हो सकती है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि लोग सहयोग करते रहे, तो सरकार अपने अतिक्रमण विरोधी अभियान को जारी रखेगी ताकि 'जाति (समुदाय)' की रक्षा की जा सके।


बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शर्मा ने कहा, 'हमारे लोग अब जागरूक हैं। मुझे नहीं लगता कि वे अधिक सहयोग करेंगे।'


जब उनसे पूछा गया कि क्या बेदखल लोग राज्य के अन्य हिस्सों में बस जाएंगे, तो उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों को वहीं लौट जाना चाहिए जहां से वे आए थे। सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।


उन्होंने जनता से अपील की कि बेदखल लोगों की सहायता न करें, अन्यथा 'हमारी स्थिति जो थोड़ी बेहतर हुई है, वह फिर से खराब हो जाएगी।'


मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में लगभग 29 लाख बीघा (9.5 लाख एकड़ से अधिक) भूमि अभी भी अतिक्रमण के अधीन है। उन्होंने कहा, 'यदि लोग हमारा सहयोग करें, तो हम इसे ठीक कर सकते हैं और अपनी 'जाति' (समुदाय) की रक्षा कर सकते हैं।'


नागालैंड से लगी अंतर-राज्यीय सीमा पर उरियमघाट इलाके में पिछले सप्ताह हुए बेदखली अभियान पर उन्होंने कहा, 'वहां कोई नागा आक्रामकता नहीं है। नागा लोग और सरकार ने बेदखली में हमारी मदद की है।'


किसी विशेष समुदाय का नाम लिए बिना, उन्होंने अतिक्रमणकारियों पर कई समस्याओं की जड़ होने का आरोप लगाया।


सरमा ने कहा, 'हमारे जंगलों को सुपारी के बागानों और मत्स्य पालन के माध्यम से बदलकर वे हमें परेशान कर रहे हैं। 'लव जिहाद' कौन कर रहा है? यह हमारे साथ हो रहा है। 'भूमि जिहाद' किसने किया? यह हमारे साथ हो रहा है। रोना तो हमें चाहिए, लेकिन वे आंसू बहा रहे हैं।'


मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि पिछले चार वर्षों में 1.29 लाख बीघा (42,500 एकड़ से अधिक) भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, और यह बड़े भू-भाग 'अवैध बांग्लादेशियों और संदिग्ध नागरिकों' के कब्जे में थे।


रविवार को उन्होंने कहा था कि सरकार 'किसी भी भारतीय या असमी व्यक्ति' को बेदखल नहीं करेगी। इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि स्थानीय लोगों द्वारा सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत कब्जा अतिक्रमण नहीं माना जाता है।