असम की अदालत ने उल्फा के 30 नेताओं को बरी किया, 34 साल पुराना मामला

असम की विशेष टाडा अदालत ने 34 साल पुराने मामले में उल्फा के 30 नेताओं को बरी कर दिया है। इस मामले में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप था। बरी किए गए नेताओं में कई प्रमुख नाम शामिल हैं, जो वार्ता समर्थक गुट से हैं। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और क्या है इसके पीछे की कहानी।
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असम की अदालत ने उल्फा के 30 नेताओं को बरी किया, 34 साल पुराना मामला

उल्फा नेताओं को मिली राहत

असम की एक विशेष टाडा अदालत ने बुधवार को 34 वर्ष पुराने एक मामले में उल्फा के 30 से अधिक नेताओं को बरी कर दिया, जिसमें देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप था। इस समूह में वार्ता समर्थक गुट के कई उग्रवादी भी शामिल हैं।


विशेष टाडा न्यायाधीश मानस बरुआ ने इस मामले में 43 आरोपियों में से 31 को बरी करने का निर्णय सुनाया। यह मामला 1991 में विशेष अभियान इकाई द्वारा दर्ज किया गया था। बरी किए गए प्रमुख नेताओं में अरबिंद राजखोवा, साशा चौधरी, राजू बरुआ, चित्रबन हजारिका, अनुप चेतिया, मुनिन नोबिच और सुनील नाथ शामिल हैं, जो सभी उल्फा के वार्ता समर्थक गुट से हैं।


उल्फा के कुछ नेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रणब दास ने बताया, 'इस मामले की सुनवाई 2001 में शुरू हुई थी। लंबी सुनवाई और विचार के बाद अदालत ने सभी 31 आरोपियों को बरी कर दिया।' उन्होंने यह भी कहा कि उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ सहित अन्य आरोपी फरार हैं।