असदुद्दीन ओवैसी का गुंबद ए खजरा के साथ विवादित वीडियो

उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' विवाद के बीच असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में ओवैसी गुंबद ए खजरा के बगल में अपनी तस्वीर देखकर पोस्टर लेने से मना कर देते हैं। जानें इस गुंबद का महत्व और ओवैसी की प्रतिक्रिया के पीछे की कहानी।
 | 
असदुद्दीन ओवैसी का गुंबद ए खजरा के साथ विवादित वीडियो

ओवैसी का वायरल वीडियो

असदुद्दीन ओवैसी का गुंबद ए खजरा के साथ विवादित वीडियो

AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी

उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस बीच, सोशल मीडिया पर असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो तेजी से फैल रहा है। इस क्लिप में ओवैसी उस पोस्टर को लेने से मना कर रहे हैं, जिसमें गुंबद ए खजरा की तस्वीर और उनकी फोटो शामिल है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक समर्थक उन्हें यह पोस्टर भेंट कर रहा है।

जब समर्थक ने पोस्टर दिया, तो ओवैसी ने मुस्कुराते हुए उसे स्वीकार किया, लेकिन जैसे ही उनकी नजर गुंबद ए खजरा के बगल में अपनी तस्वीर पर पड़ी, उन्होंने उसे ढकने के लिए कहा। समर्थक ने उनकी तस्वीर को ढक दिया, लेकिन ओवैसी ने कहा कि यह पोस्टर अपने पास ही रखें और इसे सम्मान लौटाने का निर्णय लिया।

इस घटना ने गुंबद ए खजरा के महत्व पर सवाल उठाए हैं।

गुंबद ए खजरा का महत्व

गुंबद ए खजरा, जिसे हरा गुंबद भी कहा जाता है, सऊदी अरब के मदीना में मस्जिद-ए-नबवी के दक्षिण-पूर्व कोने पर स्थित है। यह इस्लाम का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां पैगंबर मुहम्मद और उनके दो साथियों के मकबरे हैं। हर साल लाखों मुसलमान इस स्थान की यात्रा करते हैं।

गुंबद का रंग परिवर्तन

गुंबद का निर्माण 1279 ईस्वी में हुआ था और तब यह बिना रंग का था। समय के साथ, इसे कई बार पुनर्निर्मित किया गया और इसके रंग में भी बदलाव आया। 1481 में आग लगने के बाद इसे फिर से बनाया गया और 1837 में इसे हरे रंग से रंगा गया। तब से यह गुंबद ए खजरा के नाम से जाना जाता है।

गुंबद की विशेषता

गुंबद की पहचान केवल इसके रंग से नहीं है, बल्कि यह पैगंबर मुहम्मद के मकबरे के ठीक ऊपर स्थित होने के कारण भी है। यह इस्लाम की आस्था और इतिहास का प्रतीक है। गुंबद ए खजरा की यात्रा 13वीं शताब्दी से शुरू होकर 19वीं शताब्दी में अपने वर्तमान स्वरूप तक पहुंची है।