अशोक गहलोत ने अरावली क्षेत्र में खनन पट्टों पर उठाए सवाल
गहलोत का आक्रोश
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों के जारी होने की प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों में विरोधाभास
गहलोत ने बुधवार को कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार अरावली के संरक्षण का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजस्थान की भाजपा सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर रही है।
खनन पट्टों की प्रक्रिया पर सवाल
उन्होंने एक बयान में कहा कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का यह दावा कि जब तक मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग (एमपीएसएम) तैयार नहीं होता, तब तक नए खनन पट्टे नहीं दिए जाएंगे, सही नहीं है। इसके बावजूद, राजस्थान सरकार ने 14 नवंबर 2025 को नए खनन पट्टों की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें 50 पट्टे अरावली रेंज के नौ जिलों में शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अनदेखी
गहलोत ने कहा कि 20 नवंबर को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद, अरावली रेंज में 50 खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया को नहीं रोका गया। इसके विपरीत, 30 नवंबर 2025 को आदेश जारी किया गया कि ये पट्टे अरावली का हिस्सा नहीं हैं।
सरकार की दलीलें
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जब उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से एमपीएसएम के बिना नए पट्टों पर रोक लगाई है, तो राजस्थान सरकार किस आधार पर नीलामी जारी रख रही है? सरकार ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि ये पहाड़ 100 मीटर से नीचे हैं, इसलिए अरावली में नहीं आते, जबकि उच्चतम न्यायालय का फैसला 100 मीटर से ऊपर और नीचे दोनों पर लागू होता है।
अरावली के अस्तित्व पर खतरा
गहलोत ने कहा कि यह न केवल उच्चतम न्यायालय के फैसले की मंशा के खिलाफ है, बल्कि अरावली के अस्तित्व को मिटाने की एक बड़ी साजिश भी है।
भजनलाल शर्मा पर कटाक्ष
गहलोत ने तंज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अरावली को बचाने के भाषण दे रहे हैं, जबकि उनके गृह जिले भरतपुर के पड़ोसी डीग में साधु-संत अवैध खनन के खिलाफ धरने पर बैठे हैं।
