अवसाद को समझें: लक्षण, उपचार और समय पर मदद का महत्व

अवसाद का परिचय
डेस्क। मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करने के पीछे एक बड़ा कारण मरीजों और उनके परिवारों का डर है - मनोवैज्ञानिक दवाओं के प्रभाव और दुष्प्रभाव, जीवनभर दवाओं पर निर्भरता, और समाज में मानसिक रोगियों के प्रति पूर्वाग्रह।
कई बार हम यह नहीं समझ पाते कि जो अवसाद हम छुपाने की कोशिश कर रहे हैं, वह किसी अन्य बीमारी का संकेत हो सकता है। कुछ सरल कदमों से हम इससे निपट सकते हैं। आइए पहले अवसाद के बारे में जानें ताकि हम इसके विभिन्न स्वरूपों को पहचान सकें। याद रखें, सही निदान और उपचार केवल डॉक्टर का कार्य है। यह लेख आपको उपचार के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगा।
अवसाद के लक्षण और उपचार का महत्व
अवसाद के सामान्य लक्षण
अवसाद के लक्षण व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
भावनात्मक लक्षण: निरंतर उदासी, रोने की इच्छा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, और जीवन से थकावट।
शारीरिक लक्षण: थकान, भूख में परिवर्तन, नींद की समस्या, सिरदर्द या पेट दर्द।
मानसिक दुर्बलता: एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में कठिनाई, और कार्यक्षमता में गिरावट।
रुचि की कमी: पहले जिन गतिविधियों में आनंद आता था, उनमें अब कोई रुचि नहीं रहना।
स्व-मूल्य का ह्रास: अपराधबोध, हीनता और निराशा की भावना।
जोखिमपूर्ण व्यवहार: शराब या नशे का सहारा लेना, और गंभीर मामलों में आत्महत्या के विचार।
अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों में अवसाद अक्सर गुस्से और चिड़चिड़ेपन के रूप में प्रकट होता है, जबकि महिलाएं अधिकतर उदासी और भावनात्मक दर्द का अनुभव करती हैं। यदि ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें, तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।
अवसाद जैसी अन्य स्थितियाँ
हाइपोथायरॉइडिज़्म: थायरॉइड की कम सक्रियता से थकावट, वजन बढ़ना और मूड में बदलाव हो सकता है।
एनीमिया: विशेषकर आयरन की कमी वाला एनीमिया अत्यधिक थकावट और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई उत्पन्न करता है।
विटामिन की कमी: विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी से मूड अस्थिरता और थकावट हो सकती है।
क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम: अत्यधिक थकान से ग्रस्त यह स्थिति अवसाद जैसे लक्षण देती है।
फाइब्रोमायेल्जिया: पूरे शरीर में दर्द और थकावट, जो अक्सर अवसाद के साथ भी जुड़ी होती है।
पार्किंसन रोग: यह न्यूरोलॉजिकल बीमारी थकावट और भावहीनता जैसे लक्षण उत्पन्न करती है।
मधुमेह (डायबिटीज़): यह रोग भी थकावट और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी उत्पन्न करता है।
अन्य मानसिक विकार: जैसे एंग्जायटी (चिंता) या बायपोलर डिसऑर्डर, जिनके लक्षण अवसाद से मिलते-जुलते हो सकते हैं।
अन्य शारीरिक रोग: लाइम रोग, ऑटोइम्यून रोग और कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव भी अवसाद जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं।
इसलिए, किसी भी स्थिति में आत्म-निदान न करें, बल्कि विशेषज्ञ से परामर्श लें।
समय पर उपचार का महत्व
अवसाद की पहचान करके जल्दी इलाज शुरू करना कई कारणों से आवश्यक है।
लक्षणों की गंभीरता से बचाव: बिना इलाज के अवसाद हल्के से गंभीर स्तर तक पहुँच सकता है।
जटिलताओं से सुरक्षा: देरी से इलाज करने पर आत्मघाती विचार या अन्य मानसिक व शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
बेहतर परिणाम: जल्दी इलाज शुरू करने से स्वस्थ होने की संभावना अधिक होती है और पुनरावृत्ति की संभावना कम।
जीवन गुणवत्ता में सुधार: इलाज से मूड, ऊर्जा, नींद और संपूर्ण जीवन स्तर में सुधार होता है।
सहने की क्षमता का विकास: उपचार के साथ व्यक्ति भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके सीखता है।
आपका प्रदाता रक्त परीक्षण जैसे चिकित्सीय परीक्षण का आदेश दे सकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति आपके अवसादग्रस्त लक्षणों का कारण बन रही है।
उपचार के विकल्प
होम्योपैथिक उपचार: यह पद्धति समग्रतात्मक तरीके के साथ वैयक्तिकरण माध्यम से न केवल लक्षणों में बल्कि बीमारी को जड़ से खत्म करने में कारगर है। इसमें अवसाद के अलग प्रकार के लिए अलग दवाई जिसे व्यक्तिविशेष में बीमारी के कारणों, लक्षणों और व्यक्तित्व के आधार पर चुना जाता है।
मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा (टॉक थेरेपी) में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करना शामिल है। आपका चिकित्सक आपको अस्वस्थ भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करता है। मनोचिकित्सा के कई प्रकार हैं। कभी-कभी, संक्षिप्त चिकित्सा ही आपकी ज़रूरत होती है। अन्य लोग कई महीनों या सालों तक थेरेपी जारी रखते हैं।
एलोपैथिक दवा: एंटीडिप्रेसेंट नामक प्रिस्क्रिप्शन दवा अवसाद का कारण बनने वाले मस्तिष्क रसायन को बदलने में मदद कर सकती है। कई अलग-अलग प्रकार के एंटीडिप्रेसेंट हैं, और आपके लिए सबसे अच्छा कौन सा है, यह पता लगाने में समय लग सकता है। कुछ एंटीडिप्रेसेंट के साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं, ऐसा होने पर अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें। आपके लिए कोई दूसरी दवा बेहतर काम कर सकती है।
जीवन शैली और आहार में बदलाव के बिना अवसाद या किसी भी रोग का इलाज़ संभव नहीं है।
जीवनशैली में बदलाव
जैसे दिनचर्या का पालन करना, विशेष रूप से मंजन करना, नहाना, अच्छे से तैयार होना, दाढ़ी बनाना आदि शामिल है। नियमित व्यायाम करना, गुणवत्तापूर्ण नींद लेना (न बहुत कम न बहुत अधिक), स्वस्थ आहार खाना, शराब से परहेज करना, और उन लोगों के साथ समय बिताना जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं।
आप हमेशा अवसाद को रोक नहीं सकते, लेकिन आप निम्न तरीकों से इसके जोखिम को कम कर सकते हैं:
स्वस्थ नींद की दिनचर्या बनाए रखना, स्वस्थ तंत्र के साथ तनाव का प्रबंधन करना, आहार में मीठा, वसा, कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना, व्यायाम, ध्यान और योग जैसी स्व-देखभाल गतिविधियों का नियमित अभ्यास करना। यदि आपको पहले भी अवसाद हो चुका है, तो आपको दोबारा भी इसका अनुभव होने की संभावना अधिक हो सकती है। यदि आपको अवसाद के लक्षण हैं, तो जल्द से जल्द मदद लें।
विशेषज्ञ की सलाह
डॉ हेमलता सिंह
होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी एवं मनोवैज्ञानिक, अलीगढ़