अर्पित रांका की चिंताओं का समाधान: प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन

टीवी जगत के अभिनेता अर्पित रांका ने हाल ही में वृंदावन में प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। उन्होंने अपने करियर की अनिश्चितताओं और पारिवारिक चिंताओं के बारे में चर्चा की। महाराज ने उन्हें नाम जप के माध्यम से मानसिक शांति और भविष्य को संवारने का उपाय बताया। जानें इस मुलाकात में और क्या खास बातें हुईं और कैसे महाराज ने अर्पित को प्रेरित किया।
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अर्पित रांका की चिंताओं का समाधान: प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन

प्रेमानंद महाराज से मिले अर्पित रांका

अर्पित रांका की चिंताओं का समाधान: प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन

प्रेमानंद महाराज

टीवी के जाने-माने अभिनेता अर्पित रांका, जिन्होंने ‘महाभारत’ में दुर्योधन और कई अन्य धारावाहिकों में ‘रावण’ जैसे नकारात्मक किरदार निभाए हैं, हाल ही में वृंदावन पहुंचे। वहां उन्होंने प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज से मुलाकात की और अपने जीवन की समस्याओं और भविष्य के बारे में मार्गदर्शन मांगा। आइए जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज ने उन्हें क्या सलाह दी।

काम की अनिश्चितता और पारिवारिक जिम्मेदारियां

अर्पित ने महाराज के सामने अपनी चिंताओं को रखते हुए कहा कि फिल्म और टीवी उद्योग में काम की स्थिति बहुत अस्थिर रहती है। उन्होंने बताया, “कई बार खलनायक का किरदार निभाने के बाद अगला प्रोजेक्ट मिलने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में परिवार का भरण-पोषण और बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगती है। मैं इस मानसिक तनाव से कैसे बाहर निकलूं, समझ नहीं आता।”

प्रेमानंद महाराज का समाधान

अर्पित की बात सुनकर प्रेमानंद महाराज ने उन्हें एक सरल लेकिन गहरा समाधान बताया। उन्होंने कहा कि कलाकार का जीवन कठिन हो सकता है, लेकिन इसका समाधान ‘नाम जप’ में है।

खाली समय का सदुपयोग: महाराज जी ने कहा कि जब भी काम न हो, उस समय को चिंता में न बिताएं। उस समय का उपयोग भगवान के नाम का जाप करने में करें।

तपस्या से बनेगा भविष्य: उन्होंने समझाया कि तपस्या से ही भविष्य को सुंदर बनाया जा सकता है। आज आप जो नाम जप करेंगे, वही आपके लिए सुख और सफलता के द्वार खोलेगा।

नकारात्मक किरदारों पर विशेष चर्चा

प्रेमानंद महाराज ने अर्पित को प्रोत्साहित करते हुए उनके द्वारा निभाए गए किरदारों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जिन खलनायकों (जैसे रावण और कंस) का किरदार आपने निभाया, वे वास्तव में बड़े तपस्वी थे। रावण भगवान शंकर का भक्त था और उसके पास अपार तपबल था। यही कारण है कि जब उन्होंने अपने प्राण त्यागे, तो भगवान उनके सामने उपस्थित थे। महाराज ने कहा कि जिस तरह उन पात्रों ने शक्ति पाने के लिए तप किया, उसी तरह एक व्यक्ति को अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए ‘नाम जप’ की तपस्या करनी चाहिए।

भय मुक्त होकर कर्म करने की सलाह

अंत में, प्रेमानंद महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि यदि आप निरंतर नाम जप करते हैं, तो राधारानी स्वयं आपके परिवार और बच्चों के भविष्य की रक्षा करेंगी। चिंता छोड़ें और केवल अपने कर्म और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करें।

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