अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उठाई चिंता

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे संवेदनशीलता से नहीं किया गया, तो यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को मताधिकार से वंचित कर सकता है। सेन ने दस्तावेजीकरण की मांग और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि सुधार के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
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अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उठाई चिंता

मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर अमर्त्य सेन की चेतावनी

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने शुक्रवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर अपनी चिंताओं का इजहार किया।


उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे संवेदनशीलता से नहीं किया गया, तो यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को ‘मताधिकार से वंचित’ कर सकता है।


सेन ने यह भी सवाल उठाया कि क्यों एक नौकरशाही प्रक्रिया में नागरिकों से कड़े दस्तावेजों की मांग की जाती है, जबकि उन्हें आवश्यक संसाधनों तक पहुंच नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं और पुनरीक्षण आवश्यक हैं, लेकिन यह मौलिक अधिकारों की कीमत पर नहीं होना चाहिए।


सेन ने संवाददाताओं से कहा, “यह सच है कि समय-समय पर विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, ऐसा करते समय गरीबों के अधिकारों को कुचलकर कोई ‘बेहतर व्यवस्था’ नहीं बनाई जा सकती।”


उन्होंने एक न्यायपूर्ण और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि कई लोग अब भी सही दस्तावेजों के बिना रह रहे हैं, जिसके कारण वे अक्सर चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं।


सेन ने कहा, “कई लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं। कई वोट नहीं कर सकते... यदि सुधार के नाम पर बहुत से लोगों को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो यह एक गंभीर गलती बन जाती है।”