अरुणाचल प्रदेश में छात्राओं का शिक्षकों की कमी के खिलाफ प्रदर्शन
अरुणाचल प्रदेश के पक्के केसांग जिले में छात्राओं ने शिक्षकों की कमी के खिलाफ 65 किलोमीटर लंबा मार्च निकाला। इस प्रदर्शन के बाद महिला वेलफेयर सोसाइटी ने मामले की जांच की मांग की है। छात्राओं ने कहा कि उनकी बार-बार की शिकायतों को नजरअंदाज किया गया। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
Sep 20, 2025, 11:47 IST
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छात्राओं का 65 किलोमीटर लंबा मार्च

पैदल मार्च करती स्कूली छात्राएं.
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हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के पक्के केसांग जिले में एक महत्वपूर्ण घटना हुई है, जिसमें छात्राओं ने शिक्षकों की कमी के खिलाफ 65 किलोमीटर लंबा मार्च निकाला। इस प्रदर्शन का उद्देश्य शिक्षा में बाधा डालने वाली इस समस्या के प्रति ध्यान आकर्षित करना था। अब, राज्य महिला वेलफेयर सोसाइटी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की मांग की है।
अरुणाचल प्रदेश महिला वेलफेयर सोसाइटी (APWWS) ने 18 सितंबर को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा निकाले गए मार्च पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह स्थिति लड़कियों की शिक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है और राज्य आयोग से स्वतंत्र जांच समिति गठित करने की अपील की है।
प्रदर्शन का कारण
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की लगभग 90 छात्राओं ने न्यांगनो गांव से मार्च शुरू किया और रातभर चलकर जिला मुख्यालय लेमी पहुंचीं। कक्षा 11वीं और 12वीं की छात्राओं ने भूगोल और राजनीति विज्ञान के शिक्षकों की तत्काल नियुक्ति की मांग की। उन्होंने एक पोस्टर भी बनाया, जिसमें लिखा था, 'एक शिक्षक के बिना एक स्कूल सिर्फ एक इमारत है'।
छात्राओं की शिकायतें
छात्राओं ने बताया कि उनकी बार-बार की शिकायतों को स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। अधिकारियों ने कहा कि छात्राओं ने मार्च के बारे में हॉस्टल वार्डन या स्कूल के अधिकारियों को सूचित नहीं किया। स्कूल की हेडमिस्ट्रेस ने स्वीकार किया कि भूगोल और राजनीति विज्ञान के शिक्षकों की कमी है, लेकिन अन्य विषयों के लिए ट्यूटर उपलब्ध हैं।
महिला वेलफेयर सोसाइटी की मांग
APWWS ने कहा कि अधिकारियों को उन कारणों की जांच करनी चाहिए, जिन्होंने इस विरोध को जन्म दिया। उन्होंने शिक्षा विभाग को चेतावनी दी कि दंडात्मक उपाय जैसे निलंबन से स्कूल में भय और तनाव बढ़ सकता है। सोसाइटी ने रिक्तियों को भरने और एक पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की अपील की है।