अरावली पहाड़ियों के संरक्षण के लिए कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन

गुरुग्राम और उदयपुर में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अरावली पहाड़ियों की नई ऊंचाई-आधारित योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस योजना को पारिस्थितिक संतुलन के लिए हानिकारक बताया और उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चिंता व्यक्त की। वकीलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई, जिससे यह मामला और भी महत्वपूर्ण बन गया है।
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अरावली पहाड़ियों की नई परिकल्पना के खिलाफ प्रदर्शन

पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं ने शनिवार को हरियाणा के गुरुग्राम और राजस्थान के उदयपुर में अरावली पहाड़ियों की ऊंचाई-आधारित नई योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनका मानना है कि यह योजना देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला के पारिस्थितिक संतुलन को नुकसान पहुंचा सकती है।


गुरुग्राम में, बड़ी संख्या में कार्यकर्ता, सामाजिक संगठनों के सदस्य और स्थानीय निवासी मंत्री राव नरबीर सिंह के निवास के बाहर एकत्र हुए और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां उठाई थीं, जिन पर 'अरावली बचाओ', 'भविष्य बचाओ' और 'अरावली नहीं तो जीवन नहीं' जैसे नारे लिखे थे। उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा नई योजना को मंजूरी देने के आदेश पर अपनी चिंता व्यक्त की।


उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक समिति की अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं से संबंधित सिफारिशों को स्वीकार किया था।


उदयपुर में, वकीलों की एक बड़ी संख्या ने भी अरावली पर्वतमाला की नई ऊंचाई पर आधारित योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया। इन वकीलों ने इस नई परिकल्पना के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की।


इस नई योजना के अनुसार, केवल वही भू-आकृतियाँ अरावली पहाड़ियों में शामिल की जाएंगी जो कम से कम 100 मीटर ऊँची होंगी। वकीलों ने नारेबाजी करते हुए न्यायालय परिसर से जिला कलेक्ट्रेट तक मार्च किया और वहां अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा।