अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा: केंद्रीय मंत्री का स्पष्टीकरण
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि यह परिभाषा केवल खनन उद्देश्यों के लिए लागू है और खनन के लिए केवल 277.89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र खुला है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नए खनन पट्टों पर कोई निर्णय तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि वैज्ञानिक अध्ययन पूरा नहीं हो जाता। यादव की टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आई हैं, जिसके चलते राजनीतिक आलोचना भी बढ़ी है।
| Dec 22, 2025, 19:12 IST
अरावली पहाड़ियों की परिभाषा पर केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा केवल खनन के उद्देश्यों के लिए लागू होती है। उन्होंने बताया कि अरावली क्षेत्र का केवल 277.89 वर्ग किलोमीटर, जो कि कुल क्षेत्र का लगभग 0.19 प्रतिशत है, खनन के लिए खुला है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन पूरा नहीं हो जाता, तब तक कोई नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा। यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मोदी सरकार हरित अरावली मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है और बड़े पैमाने पर पारिस्थितिकीय क्षति की चिंताएं निराधार हैं।
खनन की सीमाएं और अदालत की स्थिति
यादव ने कहा कि अरावली पहाड़ियों से संबंधित परिभाषा का उपयोग केवल खनन संदर्भ में किया जाएगा। कुल 1,43,577 वर्ग किलोमीटर के अरावली क्षेत्र में केवल 277.89 वर्ग किलोमीटर में खनन की अनुमति है। हालांकि, उन्होंने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) द्वारा तैयार की जा रही रिपोर्ट की समयसीमा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जो नए खनन पट्टों पर विचार करने से पहले आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मामला अदालत में है, इसलिए वह समयसीमा पर कुछ नहीं कह सकते।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
यादव की टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को स्वीकार करने के बाद आई हैं, जिसके चलते राजनीतिक आलोचना तेज हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम खनन हितों को लाभ पहुंचाएगा, जिसे मंत्री ने खारिज कर दिया है। यादव ने कहा कि अरावली पर्वतमाला में खनन गतिविधियों को केवल एक सीमित क्षेत्र में अनुमति दी जाएगी और यह भी बताया कि पर्वतमाला को मजबूत पारिस्थितिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के हरित अरावली अभियान की सराहना की है।
नए खनन पट्टों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एक विस्तृत स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 नवंबर के आदेश के अनुसार व्यापक अध्ययन किए जाने तक कोई नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि किसी भी नए पट्टे को जारी करने से पहले संपूर्ण अरावली पर्वतमाला के लिए सतत खनन योजना (एमपीएसएम) तैयार की जाए।
