अयोध्या में ध्वजारोहण महोत्सव की शुरुआत अमावस्या से

अयोध्या में ध्वजारोहण महोत्सव की शुरुआत 20 नवंबर को अमावस्या के दिन होगी। इस पावन अवसर पर कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 108 पीतवस्त्रधारी महिलाएँ शामिल होंगी। कार्यक्रम में बैंड-बाजे की धुनें और राम रथ की भव्यता श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देगी। ध्वजारोहण के अनुष्ठान 21 नवंबर से शुरू होंगे, जिसमें वैदिक हवन और अन्य धार्मिक क्रियाएँ शामिल होंगी। जानें इस महोत्सव के बारे में और क्या खास होने वाला है।
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अयोध्या में ध्वजारोहण महोत्सव का आगाज़

अयोध्या में ध्वजारोहण महोत्सव की शुरुआत अमावस्या से


भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह की तैयारी जोरों पर है। यह पावन आयोजन मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या, 20 नवंबर को कलश यात्रा के साथ शुरू होगा। इस अवसर पर परिसर में दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया जा रहा है। परंपरा के अनुसार, द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा के समय की तरह, कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा।


मुख्य यजमान के रूप में श्रीराम

जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र अपनी पत्नी के साथ इस अनुष्ठान का नेतृत्व करेंगे। इस यात्रा में 108 पीतवस्त्रधारी महिलाएँ शामिल होंगी, जिनके आधार कार्ड पहले से सत्यापित किए जा रहे हैं। युवा कार्यकर्ताओं का दल भगवा ध्वज लेकर चलेगा, जो राम मंदिर के शिखर पर लहराएगा।


कार्यक्रम का विवरण

कलश यात्रा में बैंड-बाजे की धुनें और राम रथ की भव्यता श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देगी। आचार्य इंद्रदेव मिश्र के अनुसार, कलश यात्रा का शुभारंभ अपराह्न 2:30 बजे होगा। इस दिन 'अमृत काल' दोपहर 2:14 से 4:02 बजे तक रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10:58 बजे से अगले दिन 1:55 बजे तक प्रभावी रहेगा। इन मुहूर्तों के कारण 20 नवंबर को अनुष्ठान की शुरुआत के लिए विशेष रूप से पवित्र माना गया है।


ध्वजारोहण के अनुष्ठान 21 नवंबर से

पहले दिन चतुर्वेदों और अन्य दिव्य ग्रंथों का पाठ, यज्ञ मंडप में वैदिक हवन, गणपति पूजन, नंदी श्राद्ध, मंडल पीठ स्थापना, अग्नि प्रज्वलन, नवग्रह पूजन और देव-विग्रहों के मंत्रों द्वारा हवन किया जाएगा। यज्ञ मंडप के चारों द्वारों का पूजन भी महत्वपूर्ण होगा। इस महायज्ञ में अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत के 108 वैदिक विद्वानों की उपस्थिति रामकथा को और भी प्रभावशाली बनाएगी।


ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ द्वारा निर्धारित किया गया है। सभी आचार्य 19 नवंबर को अयोध्या में एकत्रित होंगे।