अयोध्या में दलित लड़की के साथ दुष्कर्म: तीन आरोपी गिरफ्तार

अयोध्या में एक दलित लड़की के साथ दुष्कर्म की घटना ने सभी को झकझोर दिया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने अपने अपराध को स्वीकार किया है। इस जघन्य वारदात में लड़की के साथ बर्बरता की गई, जिससे उसकी मौत हो गई। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और परिवार की पीड़ा।
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अयोध्या में दलित लड़की के साथ दुष्कर्म: तीन आरोपी गिरफ्तार

अयोध्या में दुष्कर्म की घटना


उत्तरप्रदेश
अयोध्या/स्वराज टुडे: अयोध्या में एक दलित लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को सोमवार को गिरफ्तार किया। आरोपियों में दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा, हरिराम कोरी और विजय साहू शामिल हैं, जिन्होंने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है। उनके खुलासे सुनकर पुलिस भी दंग रह गई।


नशे में किया गया जघन्य अपराध

मुख्य आरोपी दिग्विजय सिंह ने बताया कि उन्होंने लड़की को खेत में पकड़ लिया और उसके मुँह में दुपट्टा ठूंस दिया। उसने विरोध किया, जिसके चलते गुस्से में आकर उन्होंने उसके सिर पर डंडा मारा। उन्हें यह समझने में देर लगी कि लड़की की मौत हो चुकी है। उन्होंने एक घंटे तक उसके साथ बर्बरता की।


लाश को छिपाने की कोशिश

आरोपियों ने कहा कि गांव में कथा चल रही थी, जिससे किसी को घटना का पता नहीं चला। उन्होंने लड़की की लाश को पहले टेक्निकल डिग्री कॉलेज के बाहर बने टॉयलेट में छिपाया और फिर उसे सूखी नहर में फेंक दिया। उन्होंने उसके हाथ-पैर को पेड़ की लताओं से बांध दिया और फिर अपने-अपने घर चले गए।


घटना का पूरा विवरण

अयोध्या में इस जघन्य अपराध में लड़की के हाथ-पैर तोड़ दिए गए और उसकी आंखें भी फोड़ दी गईं। आरोपियों ने उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा डालने के साथ ही उसके शरीर पर कई बार ब्लेड से वार किए। परिवार का कहना है कि उनकी 22 वर्षीय बेटी 30 जनवरी की रात भागवत सुनने गई थी, लेकिन जब वह रात 11 बजे तक घर नहीं लौटी, तो परिवार ने उसकी तलाश शुरू की।


परिवार की पीड़ा

परिजनों का कहना है कि पुलिस ने उनकी मदद नहीं की। शनिवार सुबह उन्हें नाले में लड़की का शव मिला, जिस पर कोई कपड़ा नहीं था। परिवार ने बताया कि उनकी बेटी के साथ अत्यंत बर्बरता की गई थी। उसके हाथ-पैर तोड़ दिए गए और प्राइवेट पार्ट में डंडा डालने के कारण वह मल त्याग कर गई थी।


सजा की मांग

इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आरोपियों ने मानवता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। यदि इन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया जाए, तो भी यह सजा उनके लिए कम होगी। अब यह देखना होगा कि भारत के संविधान में ऐसे अपराधियों के लिए क्या सजा निर्धारित की गई है।