अयोध्या दीपोत्सव: सियासी संग्राम और दीयों की रोशनी
दीपोत्सव में बने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड
अयोध्या में दीपोत्सव के दौरान दो महत्वपूर्ण वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित हुए। पहले रिकॉर्ड में 26 लाख 11 हजार 101 दीपों ने भगवान राम की नगरी को रोशन किया, जबकि दूसरे में 2117 लोग एक साथ सरयू नदी की आरती में शामिल हुए। लेकिन इस आयोजन के पीछे एक बड़ा सियासी विवाद भी छिड़ गया है।
अखिलेश यादव का बयान और योगी का पलटवार
इस विवाद की शुरुआत सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान से हुई, जिसमें उन्होंने दीपोत्सव के खर्च पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बार-बार दीयों और मोमबत्तियों पर खर्च क्यों किया जा रहा है? इसके जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जहां पहले गोलियां चली थीं, वहां अब दीए जलाए जा रहे हैं।
सीएम योगी का आस्था पर जोर
योगी ने कहा कि दीपोत्सव के माध्यम से उत्तर प्रदेश की पहचान को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी उनकी आस्था से खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे। उन्होंने राम जन्मभूमि पर पहले दीए जलाने का अनुभव साझा किया और विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने राम भक्तों पर गोलियां चलवाईं।
दीपोत्सव पर सपा का विरोध
योगी ने कहा कि रामद्रोहियों को दीपोत्सव पसंद नहीं आ सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर एक नए भारत का प्रतीक है। उन्होंने कांग्रेस और सपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने राम को मिथक बताया और राम भक्तों पर गोलियां चलाईं।
डिप्टी सीएम की अनुपस्थिति पर सवाल
दीपोत्सव के सियासी विवाद का एक और पहलू यह है कि दोनों डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि जिनको विज्ञापन में जगह नहीं मिली, उनकी क्या अहमियत रह गई है।