अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप से एच1-बी वीजा नीति पर पुनर्विचार की मांग की
सांसदों की अपील
अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध किया है कि वे एच1-बी वीजा से संबंधित अपने हालिया आदेश पर पुनर्विचार करें, जिसमें 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क शामिल है। सांसदों का कहना है कि भारतीय नागरिक अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और इस तरह की नीतियां अमेरिका-भारत संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।
गैर-प्रवासी कामगारों पर पाबंदी
सांसदों ने ट्रंप की घोषणा पर चिंता व्यक्त की है, जिसमें कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। इस नीति के तहत नए आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया गया है। उन्होंने ट्रंप से अनुरोध किया कि वे इस निर्णय पर विचार करें, खासकर अमेरिका-भारत संबंधों पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए।
एच-1बी कार्यक्रम का महत्व
सांसदों ने कहा कि हाल ही में भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने एच-1बी कार्यक्रम के महत्व को समझा, जो न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के साथ संबंधों और भारतीय-अमेरिकी समुदायों के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने ट्रंप से अनुरोध किया कि वे 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें और ऐसी नीतियों पर पुनर्विचार करें जो एच-1बी कार्यक्रम की पहुंच को सीमित करती हैं।
चीन का आक्रामक निवेश
सांसदों ने यह भी कहा कि जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में तेजी से निवेश कर रहा है, अमेरिका को अपने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता को सुनिश्चित करने के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 71 प्रतिशत एच-1बी धारकों का मूल देश भारत था, और इस प्रतिभा को आकर्षित करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी मजबूत होगी।
