अमेरिकी विदेश विभाग ने टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया, पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर

अमेरिकी विदेश विभाग ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) को आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जिससे पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर हुआ है। टीआरएफ, जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है, ने कई घातक हमलों में भाग लिया है। इस लेख में हम टीआरएफ की गतिविधियों, हमलों की रणनीति और पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे यह संगठन कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और इसके पीछे की सच्चाई क्या है।
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अमेरिकी विदेश विभाग ने टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया, पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर

टीआरएफ की पहचान और पाकिस्तान का दोगला रवैया

अमेरिकी विदेश विभाग ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता देकर आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस निर्णय ने पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को उजागर किया है, जो कश्मीरियों के मानवाधिकारों की बात करता है, जबकि वास्तव में वह अपने मुखौटा संगठनों के माध्यम से उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है।


टीआरएफ, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद अस्तित्व में आया, घाटी में एक प्रमुख आतंकवादी समूह बन गया है। इसमें पाकिस्तान के विशेष सेवा समूह के पूर्व कमांडो शामिल हैं। लश्कर-ए-तैयबा का यह मुखौटा संगठन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ले चुका है। इसके अलावा, टीआरएफ पिछले दो वर्षों में कई अन्य हमलों में भी शामिल रहा है।


टीआरएफ का गठन और उसकी गतिविधियाँ

टीआरएफ का गठन अक्टूबर 2019 में हुआ था, जिसमें शेख सज्जाद गुल को सुप्रीम कमांडर और मोहम्मद अब्बास शेख को संस्थापक प्रमुख बनाया गया। स्थानीय आतंकवादी अब्बास और बासित अहमद डार को सुरक्षा बलों ने 2021 और 2024 में अलग-अलग अभियानों में मार गिराया। इसके बाद टीआरएफ ने जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया।


टीआरएफ ने अब नागरिकों, विशेषकर प्रवासी मजदूरों और पर्यटकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, यह संगठन पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के निर्देशों पर काम कर रहा है। पहलगाम हमले का समय पाकिस्तान में बढ़ती घरेलू अशांति के साथ मेल खाता है, जिसका उद्देश्य ध्यान भटकाना है।


हमले की रणनीति और पहचान

अधिकारियों के अनुसार, पहलगाम हमले में शामिल हमलावरों ने सैन्य वेशभूषा में घुसपैठ की थी और उन्होंने विशेष रूप से हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया। हमलावरों ने अपने कैमरों का उपयोग करते हुए तेजी से हमला किया और जंगलों में भाग गए।


हमले के सरगना की पहचान हाशिम मूसा उर्फ आसिफ फौजी के रूप में हुई है, जो एक पूर्व पाकिस्तानी एसएसजी कमांडो है। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के एक वरिष्ठ कमांडर द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा था।


टीआरएफ की नई रणनीति और भविष्य की चुनौतियाँ

टीआरएफ का यह नया दृष्टिकोण कश्मीरी आतंकवादी समूहों की परिचालन नीति में बदलाव का संकेत है। अधिकारियों का मानना है कि यह रणनीति क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाने और सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करने की दिशा में है।


गांदरबल हमले में भी टीआरएफ ने उच्च तकनीक वाले हथियारों का इस्तेमाल किया। यह हमले समूह की शुत्रता को दर्शाता है, जो विकास कार्यों को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के रूप में देखता है।


टीआरएफ का भविष्य और पाकिस्तान की भूमिका

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जनवरी 2023 में टीआरएफ को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था। यह संगठन पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही कार्यप्रणाली का एक उदाहरण है, जो स्थानीय प्रतिरोध की आड़ में सीमा पार आतंकवाद की अपनी रणनीति जारी रखता है।


टीआरएफ लश्कर का नया मुखौटा है, और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल असीम मुनीर इस रणनीति के सूत्रधार हैं।