
अमेरिका में शटडाउन के तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है। यह स्थिति केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जा सकता है। अमेरिका पहले से ही भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, और इस शटडाउन ने उसकी आर्थिक स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां टैरिफ के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। शटडाउन ने अमेरिका की आर्थिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
अमेरिका में शटडाउन का कारण क्या है?
अमेरिका में वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अक्टूबर से होती है, और इसके लिए 30 सितंबर तक बजट पास कराना आवश्यक है। लेकिन सीनेट में बजट पर सहमति न बनने के कारण खर्च बिल पास नहीं हो सका, जिससे सरकारी फंडिंग रुक गई है। इस रुकावट के कारण आवश्यक सरकारी सेवाएं ठप हो गई हैं और कर्मचारियों की सैलरी भी रोक दी गई है। ट्रंप प्रशासन के लिए यह स्थिति संकटपूर्ण बन गई है, क्योंकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों के बीच बजट पर सहमति नहीं बन पा रही है।
बजट की कमी से NASA की गतिविधियाँ प्रभावित
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने बजट की कमी के कारण अपनी वेबसाइट को अपडेट करना बंद कर दिया है। NASA ने अपनी वेबसाइट पर एक संदेश में कहा है कि संघीय सरकार के फंडिंग में कमी के चलते यह निर्णय लिया गया है। ट्रंप प्रशासन ने 2026 के लिए NASA के बजट में कटौती की है, जिससे वैज्ञानिक और खगोलज्ञ नाराज हैं। उनका मानना है कि इस कटौती से NASA के अंतरिक्ष मिशन और चंद्रमा तथा मंगल पर जाने की योजनाएं प्रभावित होंगी।
अमेरिका पर पहले से भारी कर्ज
अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर पहले से ही कर्ज का भारी बोझ है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था पर 37 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। भारतीय रुपये में यह आंकड़ा 3236 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाता है। इसका मतलब है कि हर अमेरिकी नागरिक पर लगभग 1 लाख डॉलर का कर्ज है। यदि शटडाउन जल्दी समाप्त नहीं होता है, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो सकता है.