अमेरिका में H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रणाली में बदलाव की तैयारी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका पहले' नीति के तहत H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बनाई जा रही है। इस नई नीति का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देना है। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा है कि वर्तमान लॉटरी प्रणाली को एक चयन आधारित प्रक्रिया से बदला जाएगा। भारतीय आईटी पेशेवरों का इस बदलाव पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वे वीजा उपयोग में 70% हिस्सा लेते हैं। जानें इस नीति के संभावित परिणामों के बारे में।
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अमेरिका में H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रणाली में बदलाव की तैयारी

H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड में बदलाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका पहले' नीति का प्रभाव H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रणालियों पर जल्द ही देखने को मिलेगा, जिसका उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को विदेशी श्रमिकों की तुलना में नौकरी में प्राथमिकता देना है। वर्तमान प्रशासन वेतन आधारित आव्रजन और योग्यता आधारित चयन पर विचार कर रहा है।


सोमवार को अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि वे इस सुधार का हिस्सा हैं और वर्तमान लॉटरी आधारित प्रणाली को एक विशेष चयन आधारित प्रक्रिया से बदलने पर विचार कर रहे हैं।


फॉक्स न्यूज से बात करते हुए लुटनिक ने कहा, "हम ग्रीन कार्ड में बदलाव करने जा रहे हैं। औसत अमेरिकी की वार्षिक आय $75,000 है, जबकि औसत ग्रीन कार्ड धारक की आय $66,000 है। हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह सबसे निचले स्तर को चुनने जैसा है।" उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति 'ग्रीन कार्ड' को 'गोल्ड कार्ड' से बदलने जा रहे हैं और सबसे अच्छे लोगों का चयन शुरू करेंगे।


लुटनिक ने X पर पोस्ट किया, "वर्तमान H-1B वीजा प्रणाली एक धोखा है जो विदेशी श्रमिकों को अमेरिकी नौकरी के अवसरों को भरने की अनुमति देती है। अमेरिकी श्रमिकों को नियुक्त करना सभी महान अमेरिकी व्यवसायों की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब अमेरिकी श्रमिकों को नियुक्त करने का समय है।"


भारतीय आईटी पेशेवरों ने वीजा उपयोग में 70% हिस्सा लिया है, और नीति में बदलाव कंपनियों को विदेश में प्रतिभा तक पहुंचने के लिए मजबूर करेगा। वे नौकरियों को आउटसोर्सिंग या दूरस्थ कार्य के माध्यम से भारत में स्थानांतरित कर सकते हैं।