अमेरिका ने रूस के निकट परमाणु पनडुब्बियां तैनात की, वैश्विक तनाव बढ़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के निकट दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का आदेश दिया है, जिससे वैश्विक तनाव बढ़ गया है। यह निर्णय दिमित्री मेदवेदेव के भड़काऊ अल्टीमेटम के बाद लिया गया। ट्रंप ने रूस को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए 10 दिन का समय दिया है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। क्या यह केवल एक रणनीतिक दबाव है या दुनिया एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ रही है? इस बढ़ते तनाव का वैश्विक शांति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है।
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अमेरिका ने रूस के निकट परमाणु पनडुब्बियां तैनात की, वैश्विक तनाव बढ़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण निर्णय

वाशिंगटन, अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय लेते हुए रूस के निकट दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है। इस कदम ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है और तनाव को बढ़ा दिया है। यह निर्णय रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव द्वारा दिए गए भड़काऊ अल्टीमेटम के बाद लिया गया है।


मेदवेदेव का अल्टीमेटम और ट्रंप की प्रतिक्रिया

दिमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी थी, "हर अल्टीमेटम अमेरिका के साथ युद्ध की दिशा में एक कदम है। रूस इजरायल या ईरान जैसा देश नहीं है जो चुपचाप सहन करेगा। ट्रंप को 'स्लीपी जो' (जो बाइडेन) की तरह नहीं बनना चाहिए।"


ट्रंप ने मेदवेदेव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "उसे अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए। वह अभी भी सोचते हैं कि वह राष्ट्रपति हैं, लेकिन वह एक खतरनाक रास्ते पर चल रहे हैं।" ट्रंप ने रूस और राष्ट्रपति पुतिन के प्रति अपनी निराशा भी व्यक्त की। उन्होंने कहा, "अगर जवाब स्पष्ट है, तो फैसला आज ही क्यों न हो? अब और देरी नहीं होनी चाहिए।"


यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए अल्टीमेटम

मेदवेदेव की यह टिप्पणी ट्रंप के उस बयान के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने रूस को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए केवल 10 दिन का समय दिया था। पहले, ट्रंप ने 50 दिनों की अवधि बताई थी, लेकिन अब इसे घटाकर 10 दिन कर दिया है। क्रेमलिन ने ट्रंप के बयान को गंभीरता से लिया है, जिसमें पनडुब्बियों की तैनाती का उल्लेख किया गया था।


तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं

ट्रंप द्वारा रूस के पास दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती और मेदवेदेव के भड़काऊ बयानों के कारण वैश्विक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।


इसके साथ ही, तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। यह स्थिति 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट की याद दिलाती है, जब अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु युद्ध के कगार पर थे। विश्लेषकों का मानना है कि अब कोई भी छोटी सी गलती बड़े पैमाने पर टकराव को जन्म दे सकती है।


सवाल यह है कि क्या यह केवल एक रणनीतिक दबाव का हिस्सा है या दुनिया एक भयावह युद्ध की ओर बढ़ रही है? इस बढ़ते तनाव का वैश्विक शांति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है।