अमेरिका-चीन के बीच रेयर अर्थ डील: व्यापार में नया मोड़

अमेरिका और चीन के बीच हाल ही में हुई रेयर अर्थ डील ने वैश्विक व्यापार में एक नया मोड़ लाया है। इस समझौते के तहत, चीन ने अमेरिका को एक साल तक आवश्यक खनिजों की निरंतर आपूर्ति का आश्वासन दिया है। जानें इस डील के पीछे की रणनीति, रेयर अर्थ का महत्व और भविष्य में संभावित चुनौतियों के बारे में। क्या यह डील अमेरिका को चीन पर निर्भरता से मुक्त कर पाएगी? पढ़ें पूरी जानकारी के लिए।
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अमेरिका-चीन के बीच रेयर अर्थ डील: व्यापार में नया मोड़

रेयर अर्थ की राजनीति

अमेरिका-चीन के बीच रेयर अर्थ डील: व्यापार में नया मोड़


अमेरिका और चीन, जो कि विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, ने एक बार फिर व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह मुलाकात दक्षिण कोरिया के बुसान में हुई, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने Rare Earth Elements के निर्यात पर एक महत्वपूर्ण समझौता किया।


इस समझौते के अनुसार, चीन ने अमेरिका को एक साल तक इन खनिजों की निरंतर आपूर्ति का आश्वासन दिया है। ट्रंप ने इसे एक ‘महत्वपूर्ण कदम’ बताते हुए कहा कि ‘अब रेयर अर्थ की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आएगी’। यह दोनों नेताओं की 2019 के बाद पहली आमने-सामने की मुलाकात थी और इसे टैरिफ युद्ध में राहत का संकेत माना जा रहा है।


समझौते की मुख्य बातें

इस डील के तहत, चीन एक साल तक निर्यात नियंत्रण को समाप्त करेगा, जिससे अमेरिका को आवश्यक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। ट्रंप के अनुसार, बातचीत में सोयाबीन आयात, फेंटेनाइल नियंत्रण और रेयर अर्थ आपूर्ति जैसे मुद्दों पर भी प्रगति हुई है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ को 57% से घटाकर 47% करने की घोषणा की। हालांकि, चीन का वाणिज्य मंत्रालय यह स्पष्ट करता है कि यह राहत केवल एक साल के लिए है, जिससे अगले वर्ष स्थिति फिर से बदल सकती है।


रेयर अर्थ का महत्व

रेयर अर्थ तत्व पृथ्वी पर मौजूद हैं, लेकिन इन्हें निकालना और शुद्ध करना अत्यधिक महंगा और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है। इनमें 17 धातुएं शामिल हैं, जैसे नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम, टर्बियम, और लैंथेनम। ये धातुएं आधुनिक तकनीक के लिए आवश्यक हैं, जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर के माइक्रोचिप, और इलेक्ट्रिक वाहनों के मोटर्स।


चीन की शक्ति और अमेरिका की चुनौती

वर्तमान में, दुनिया के लगभग 60% रेयर अर्थ खनन और 90% रिफाइनिंग चीन में होती है। चीन के पास न केवल खनन की क्षमता है, बल्कि इन धातुओं को शुद्ध करने और उत्पाद बनाने का पूरा ढांचा भी है। इसके विपरीत, अमेरिका के पास कच्चा माल तो है, लेकिन उसे शुद्ध करने की क्षमता बहुत कम है। जब चीन ने इस साल अप्रैल में रेयर अर्थ खनिजों के निर्यात पर रोक लगाई, तो अमेरिकी उद्योगों में हड़कंप मच गया। यह स्पष्ट है कि रेयर अर्थ चीन के लिए एक ‘राजनीतिक हथियार’ बन चुके हैं।


डील की रणनीति

जब अमेरिका ने चीन पर नए टैरिफ लगाए, तो चीन ने रेयर अर्थ के निर्यात पर सख्त नियंत्रण लागू किए। अब ट्रंप-शी की यह डील उस तनाव को कुछ हद तक कम करती है। इससे अमेरिका को राहत मिलेगी, खासकर उन कंपनियों को जो इन खनिजों पर निर्भर हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक अस्थायी समाधान हो सकता है। असली चुनौती अमेरिका के लिए अपनी खुद की रेयर अर्थ सप्लाई-चेन बनाना है।


भविष्य की संभावनाएं

इस डील से बाजार में स्थिरता की उम्मीद है और रेयर अर्थ की कीमतें भी नियंत्रित रह सकती हैं। लेकिन चीन की एक साल की रियायत के बाद स्थिति फिर से बदल सकती है। यदि अमेरिका समय पर अपनी रिफाइनिंग क्षमता नहीं बढ़ाता, तो उसे फिर से चीन पर निर्भर रहना पड़ सकता है।