अमेरिका के टैरिफ से दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि पर खतरा: वर्ल्ड बैंक की चेतावनी

वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए उच्च टैरिफ से दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि दर में कमी आ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2026 में विकास दर 5.8% तक गिर सकती है। इस लेख में जानें कि कैसे ये टैरिफ भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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अमेरिका के टैरिफ से दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि पर खतरा: वर्ल्ड बैंक की चेतावनी

अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका के टैरिफ से दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि पर खतरा: वर्ल्ड बैंक की चेतावनी

अमेरिका के टैरिफ

वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में बताया कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए उच्च टैरिफ के कारण दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि दर 2026 में प्रभावित हो सकती है। हालांकि, इस वर्ष सरकारी खर्च के चलते स्थिति अभी स्थिर है। रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया की विकास दर 2025 में 6.6% से घटकर 2026 में 5.8% तक पहुंच सकती है। यह रिपोर्ट भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव जैसे देशों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।

अमेरिका के टैरिफ का असर

वर्ल्ड बैंक ने कहा कि 2026 के लिए विकास दर का अनुमान कम किया गया है क्योंकि भारत को अमेरिका से निर्यातित वस्तुओं पर अपेक्षा से अधिक ऊंचे टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुछ प्रभाव धीरे-धीरे कम होंगे, लेकिन अमेरिका के बढ़े हुए शुल्क भारत की विकास दर पर दबाव डालेंगे।

भारत की विकास दर के नए अनुमान

वर्ल्ड बैंक ने भारत की मौजूदा वित्त वर्ष (मार्च 2026 तक) की विकास दर का अनुमान 6.3% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष (2026-27) के लिए अनुमान को 6.5% से घटाकर 6.3% कर दिया गया है।

अमेरिका का 50% टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले अधिकांश निर्यातित उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाया है, जो किसी भी अमेरिकी व्यापार साझेदार पर लगाया गया सबसे ऊंचा शुल्क है। यह कदम लगभग 50 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात को प्रभावित कर रहा है, जिसमें विशेष रूप से टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी और झींगा उद्योग जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र शामिल हैं।

टैक्स कटौती और निवेश पर ध्यान

टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने शैंपू से लेकर कारों तक पर टैक्स में कटौती का बड़ा निर्णय लिया। इसे 2017 के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जा रहा है। इसके साथ ही भारत तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर खर्च कर रहा है, जिससे घरेलू मांग को बढ़ावा मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस प्रभाव को कम करने के लिए घरेलू निवेश और निर्यात बाजारों में विविधता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।