अमेरिका की ईरान पर बड़ी कार्रवाई: 15 कंपनियों और 52 जहाजों पर प्रतिबंध

अमेरिका ने ईरान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, जिसमें 15 कंपनियों और 52 जहाजों पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह कदम भारत, चीन, तुर्की और यूएई जैसे देशों पर प्रभाव डाल रहा है, जो ईरान के साथ व्यापार में शामिल रहे हैं। अमेरिका का आरोप है कि यह नेटवर्क ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में छिपाकर बेचता है। जानें इस कार्रवाई के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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अमेरिका की ईरान पर बड़ी कार्रवाई: 15 कंपनियों और 52 जहाजों पर प्रतिबंध

अमेरिका की नई कार्रवाई

अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है, जिसका प्रभाव भारत, चीन, तुर्की और यूएई जैसे देशों पर पड़ा है, जो ईरान के साथ तेल और पेट्रोकेमिकल व्यापार में संलग्न रहे हैं। इस कार्रवाई में अमेरिका ने ईरान के शिपिंग और तेल तस्करी नेटवर्क पर 15 शिपिंग कंपनियों, 52 जहाजों, 12 व्यक्तियों और 53 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया है।


अमेरिका के आरोप

अमेरिका का कहना है कि यह नेटवर्क ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में छिपाकर बेचता है, जिससे प्राप्त धन का उपयोग ईरान अपने न्यूक्लियर कार्यक्रम, बैलिस्टिक मिसाइल विकास और आतंकवादी संगठनों की फंडिंग के लिए करता है। यह नेटवर्क मोहम्मद हुसैन शमखानी के नियंत्रण में है, जो ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई के करीबी सलाहकार का बेटा है।


प्रतिबंधित कंपनियों की सूची

बुधवार की रात अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 24 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया, जो ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद में शामिल थीं। इनमें 52 जहाज, जिनमें ऑयल टैंकर और कंटेनर शिप शामिल हैं, और 12 व्यक्ति, जिनमें भारत, इटली और यूएई के नागरिक शामिल हैं, शामिल हैं। इसके अलावा, 53 अन्य संस्थाएं भी हैं, जिनमें अधिकतर शेल कंपनियां शामिल हैं जो विभिन्न देशों में रजिस्टर्ड हैं।


शमखानी का नेटवर्क

मोहम्मद हुसैन शमखानी ने फर्जी नामों का उपयोग करके एक वैश्विक नेटवर्क स्थापित किया था। उसके जहाज अक्सर ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर देते थे या फर्जी दस्तावेज दिखाते थे, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता था। BIGLI और ACE नामक जहाजों ने चीन और ईरान के बीच तेल भेजने में धोखाधड़ी की।


अमेरिका का उद्देश्य

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, उनका लक्ष्य ईरान की आय के मुख्य स्रोत को बंद करना है ताकि वह अपने न्यूक्लियर और हथियार कार्यक्रमों को जारी न रख सके और आतंकवादी संगठनों को फंड न दे सके। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये प्रतिबंध सजा देने के लिए नहीं, बल्कि व्यवहार में बदलाव लाने के लिए हैं। प्रतिबंधित कंपनियां ट्रेजरी विभाग से अपील कर सकती हैं।