अमेरिका का भारत-पाक संघर्ष में मध्यस्थता का दावा: मार्को रूबियो का बयान
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष पर अमेरिका की भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने का श्रेय अमेरिका ने 1000 से अधिक बार लिया है, लेकिन भारत ने इन दावों को हमेशा खारिज किया है। हाल ही में, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस मुद्दे का उल्लेख किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उन्होंने इस वर्ष कई अन्य मामलों के साथ-साथ इस संघर्ष को भी सुलझाने का प्रयास किया है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी नेतृत्व ने 'शांतिदूत' की भूमिका को अपनी प्राथमिकता बना लिया है।
रूबियो ने कहा कि अमेरिका वैश्विक स्तर पर विभिन्न संघर्षों में शामिल है, जिनमें से कुछ शायद अमेरिका के दैनिक जीवन के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं। उन्होंने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'राष्ट्रपति ने शांतिदूत की भूमिका को प्राथमिकता दी है, इसलिए हमने रूस, यूक्रेन, भारत-पाकिस्तान और थाईलैंड-कंबोडिया जैसे मामलों में सक्रियता दिखाई है।'
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका द्वारा सुलझाए गए कई संघर्षों की जड़ें कई वर्षों पुरानी हैं, लेकिन अमेरिका इन मुद्दों को सुलझाने में मदद करने के लिए तत्पर है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद, भारत ने 6-7 मई की रात 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया। चार दिनों तक चलने वाले ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद, भारत और पाकिस्तान ने 10 मई को संघर्ष समाप्त करने पर सहमति जताई।
भारत ने संघर्ष के समाधान में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से लगातार इनकार किया है। रुबियो ने चीन और जापान के संबंधों पर एक सवाल के जवाब में कहा कि क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा, 'हमें जापान के साथ अपनी मजबूत साझेदारी को बनाए रखते हुए, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन सरकार के साथ भी सहयोग के सकारात्मक रास्ते तलाशने होंगे।'
उन्होंने यह भी कहा कि चीन एक समृद्ध और शक्तिशाली देश बना रहेगा और भू-राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। 'हमें उनके साथ संबंध बनाए रखने और बातचीत करने की आवश्यकता है,' उन्होंने कहा।
जब गाजा में शांति स्थापना के लिए सैनिक भेजने के संबंध में अमेरिका की पाकिस्तान से सहमति के बारे में पूछा गया, तो रुबियो ने कहा कि जिन देशों से अमेरिका ने बातचीत की है, वे सभी जानना चाहते हैं कि विशिष्ट जनादेश क्या होगा और वित्तपोषण की व्यवस्था कैसी होगी। उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान के आभारी हैं कि उन्होंने इसमें शामिल होने की पेशकश की है।'
