अमेरिका का ईरान पर हमला: पाकिस्तान की भूमिका और ट्रंप की रणनीति

अमेरिका का ईरान पर हमला
हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले की कार्रवाई की, जो पहले से ही अटकलों का विषय था। इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के बाद से यह चर्चा थी कि अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो सकता है। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के इस कदम से लगभग चार दिन पहले, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को लंच पर आमंत्रित किया था। इस मुलाकात में ईरान के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना जताई गई।
ट्रंप और मुनीर की मुलाकात
18 जून को ट्रंप और मुनीर के बीच हुई मुलाकात के चार दिन बाद, ट्रंप ने ईरान पर हमला किया। इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान की सीमा ईरान से जुड़ी हुई है, जो लगभग 900 किलोमीटर लंबी है। ऐसे में अमेरिका के हमले की स्थिति में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
पेंटागन के पूर्व अधिकारी की टिप्पणी
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि ट्रंप और मुनीर के बीच संभवतः अमेरिकी ऑपरेशन पर चर्चा हुई होगी। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका पाकिस्तान को तब तक प्रोत्साहित करता है जब तक उसकी जरूरतें पूरी होती हैं।
अमेरिका की रणनीति
रुबिन ने 2003 के इराक युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी अमेरिका ने ईरान के साथ एक समझौता किया था। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका-पाकिस्तानी संबंधों में एक पैटर्न है, जहां अमेरिका पाकिस्तान को तब बढ़ावा देता है जब उसे उनकी जरूरत होती है।
पाकिस्तान की भूमिका
अमेरिका के लिए ईरान पर हमले के दौरान पाकिस्तान की आवश्यकता का मुख्य कारण यह है कि दोनों देशों के बीच लंबी सीमा है। इससे अमेरिका को पाकिस्तान में एयरबेस स्थापित करने में आसानी होगी, जिससे ईरान पर हमले में कोई कठिनाई नहीं आएगी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
हालांकि, पाकिस्तान ने अमेरिका के हमले की निंदा की है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं और ईरान को अपने बचाव का अधिकार है।