अमेरिका और चीन के बीच रेयर अर्थ मिनरल्स की जंग: भारत की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेयर अर्थ मिनरल्स की प्रतिस्पर्धा

चीन vs पूरी दुनिया
फेस्टिवल के मौसम में जहां देश में खरीदारी जोरों पर है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव फिर से उभर आया है, और अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि यह केवल अमेरिका बनाम चीन नहीं है, बल्कि चीन बनाम पूरी दुनिया है।
रेयर अर्थ मटेरियल्स ऐसे विशेष खनिज हैं, जो मोबाइल फोन, मिसाइल, इलेक्ट्रिक वाहनों और उपग्रहों जैसी उच्च तकनीकी वस्तुओं में उपयोग होते हैं। वर्तमान में, इन पर वैश्विक निर्भरता बढ़ती जा रही है, और चीन इस क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, जो दुनिया के 70% से अधिक उत्पादन और 90% से अधिक प्रोसेसिंग का मालिक है।
चीन के नए प्रतिबंध और अमेरिका की प्रतिक्रिया
चीन ने लगाया नया प्रतिबंध, अमेरिका ने दी चेतावनी
हाल ही में, चीन ने कुछ महत्वपूर्ण रेयर मटेरियल्स के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसका सीधा प्रभाव अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की तकनीकी और सैन्य आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ सकता है। इसके जवाब में, अमेरिका ने चीन पर 100% आयात शुल्क लगाने की चेतावनी दी है।
अमेरिका इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठना चाहता। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अमेरिका अब अकेला नहीं लड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया, 'हमें भारत, यूरोप और एशिया के लोकतांत्रिक देशों से समर्थन की उम्मीद है।'
भारत की संभावनाएं और अमेरिका की अपेक्षाएं
भारत पर क्यों टिकी है अमेरिका की नजर?
भारत के पास रेयर अर्थ के भंडार हैं, जो अभी पूरी तरह से उपयोग में नहीं लाए गए हैं। यदि सही तकनीक और निवेश प्राप्त होता है, तो भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बन सकता है। अमेरिका को विश्वास है कि भारत इस अवसर पर सहयोग करेगा।
वित्त मंत्री बेसेंट ने कहा, 'हम सहयोगियों से बातचीत कर रहे हैं। हमें भारत और अन्य लोकतंत्रों से मजबूत समर्थन मिलेगा।' उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन पूरी दुनिया की सप्लाई चेन को नियंत्रित करना चाहता है, लेकिन अमेरिका अपनी आर्थिक संप्रभुता का पूरा उपयोग करेगा।
भारत के लिए चुनौती और अवसर
भारत पर पहले ही दबाव, लेकिन अब बढ़ा मौका
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 25% टैरिफ और रूसी तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिससे भारत पर कुल 50% शुल्क हो गया। इस स्थिति में, भारत के लिए यह एक चुनौती भी है और एक अवसर भी। यदि भारत अमेरिका के साथ साझेदारी करता है, तो नई तकनीक, निवेश और व्यापार के नए रास्ते खुल सकते हैं।