अमित शाह ने पुणे में बाजीराव की प्रतिमा का अनावरण किया, स्वराज की रक्षा पर जोर

स्वराज की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारत के सशस्त्र बल और नेतृत्व देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। उन्होंने पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में मराठा नेता और जनरल पेशवा बाजीराव प्रथम की घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण करते हुए यह बात कही। भाजपा नेता ने यह भी साझा किया कि जब भी उन्हें नकारात्मक विचारों का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और बाजीराव की याद आती है।
एनडीए में बाजीराव की प्रतिमा का महत्व
शाह ने कहा कि एनडीए में बाजीराव के स्मारक का स्थान अत्यंत उपयुक्त है, क्योंकि यह सैन्य नेतृत्व के प्रशिक्षण का केंद्र है। उन्होंने पुणे को स्वराज के संस्कारों का उद्गम स्थल बताया, जहां 17वीं शताब्दी में स्वराज का विचार फैलाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जब अंग्रेजों के खिलाफ फिर से स्वराज की लड़ाई का समय आया, तो सबसे पहले तिलक महाराज ने 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है' का उद्घोष किया।
युद्ध की कला और प्रेरणा
अमित शाह ने कहा कि एनडीए में बाजीराव की मूर्ति से जो प्रेरणा मिलेगी, उससे भारत की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने युद्ध की कला के नियमों की स्थिरता पर जोर दिया और कहा कि देशभक्ति, बलिदान और समर्पण जैसे गुण सेनाओं को विजय दिलाते हैं। उन्होंने बाजीराव पेशवा को भारतीय इतिहास का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
स्वराज की स्थापना की प्रेरणा
शाह ने बताया कि जब दक्षिण भारत विभिन्न शासनों से पीड़ित था और उत्तर भारत मुगलों के अधीन था, तब एक 12 वर्षीय बालक ने हिन्दवी स्वराज की स्थापना का संकल्प लिया। उन्होंने शिवाजी महाराज की वीरता की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने युवाओं में स्वराज के संस्कार भरे।
नकारात्मकता से लड़ने की प्रेरणा
अमित शाह ने कहा, 'जब भी मेरे मन में नकारात्मक विचार आते हैं, तो मैं शिवाजी और पेशवा बाजीराव के बारे में सोचता हूं, जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वराज स्थापित किया।' उन्होंने यह भी कहा कि स्वराज की रक्षा की जिम्मेदारी अब 140 करोड़ भारतीयों पर है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को स्वराज की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया।