अमित शाह का लक्ष्य: नक्सली हिडमा का खात्मा समय से पहले
नक्सली हिडमा का अंत
गृह मंत्री अमित शाह
कुख्यात नक्सली हिडमा को आंध्र प्रदेश के जंगलों में सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। यह कार्रवाई निर्धारित समय सीमा से पहले की गई है। सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को 30 नवंबर, 2025 तक का लक्ष्य दिया था, लेकिन एजेंसियों ने इसे समय से पहले पूरा कर लिया है।
अमित शाह का उद्देश्य था कि 31 मार्च 2026 तक देश में नक्सलियों का सफाया हो जाए, और इसके लिए उन्होंने हिडमा के खात्मे का कार्य सुरक्षाबलों को सौंपा था। हिडमा की मौत के बाद, अमित शाह ने उच्च अधिकारियों से बातचीत की।
एक सुरक्षा समीक्षा बैठक में, शाह ने नक्सल विरोधी अभियानों में लगे अधिकारियों से 30 नवंबर से पहले हिडमा को समाप्त करने का निर्देश दिया था, और उसे इस समयसीमा से 12 दिन पहले ही मार गिराया गया। हिडमा, जो 1981 में सुकमा में जन्मा था, पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की एक बटालियन का कमांडर और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था।
उसे बस्तर से इस प्रतिबंधित संगठन का एकमात्र आदिवासी सदस्य माना जाता था। हिडमा का नाम 26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में शामिल रहा, जिससे वह भारत के सबसे खतरनाक नक्सलियों में से एक बन गया।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया?
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिडमा का मारा जाना माओवादी आतंक के ‘ताबूत में आखिरी कील’ के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियां कम हो रही हैं। बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हिडमा और उसकी पत्नी राजे, आज सुबह पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली के जंगल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए छह नक्सलियों में शामिल थे।
सुकमा जिले के पूवर्ती गांव के निवासी हिडमा की उम्र और रूप-रंग सुरक्षा एजेंसियों के बीच लंबे समय तक चर्चा का विषय रहे हैं। यह चर्चा तब तक जारी रही जब तक इस वर्ष की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने नहीं आई। हिडमा ने कई वर्षों तक माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर एक का नेतृत्व किया, जो दंडकारण्य में माओवादी संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता है।
दंडकारण्य छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
