अमित शाह का बयान: पाकिस्तान की स्थिति और कांग्रेस की भूमिका

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान की स्थिति को कांग्रेस की गलतियों से जोड़ा है। उन्होंने संसद में अपने बयान में कहा कि यदि कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार नहीं किया होता, तो पाकिस्तान का अस्तित्व नहीं होता। शाह ने 2002 में लाए गए पोटा कानून और बटला हाउस की घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी सरकार के दौरान कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है। जानें उनके विचार और ऐतिहासिक संदर्भ में क्या कहा गया।
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अमित शाह का बयान: पाकिस्तान की स्थिति और कांग्रेस की भूमिका

पाकिस्तान की स्थिति पर अमित शाह का बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व कांग्रेस की गलतियों का परिणाम है। उन्होंने संसद में ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में कहा कि यदि कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार नहीं किया होता, तो आज पाकिस्तान नहीं होता। शाह ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जबकि भारत नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की कोशिशों की सराहना की, जो भारत को इस परिषद का हिस्सा बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।


शाह ने कहा कि जब भारतीय जवान डोकलाम में चीनी सैनिकों का सामना कर रहे थे, तब राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिल रहे थे। यह चीन के प्रति प्रेम नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक तीन पीढ़ियों में फैला है।


उन्होंने 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार द्वारा लाए गए पोटा कानून का भी जिक्र किया। शाह ने कहा कि कांग्रेस ने इस कानून पर आपत्ति जताई थी और 2004 में सत्ता में आने के बाद इसे समाप्त कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस ने पोटा को खत्म करके किसका फायदा उठाया।


शाह ने बटला हाउस की घटना का भी जिक्र किया, जिसमें सलमान खुर्शीद सोनिया गांधी के घर से रोते हुए बाहर आए थे। उन्होंने कहा कि अगर सोनिया गांधी को रोना था, तो उन्हें शहीद मोहन शर्मा के लिए रोना चाहिए था, न कि बटला हाउस के आतंकवादियों के लिए।


गृह मंत्री ने 1971 के युद्ध का भी उल्लेख किया, जिसमें इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया। उन्होंने कहा कि उस समय भारत ने 93 हजार युद्धबंदियों को पकड़ा और 15 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया। लेकिन शिमला समझौते के बाद, भारत ने PoK मांगने का अवसर खो दिया।


शाह ने यह भी कहा कि उनकी सरकार के दौरान कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है। उन्होंने बताया कि 2014 से 2025 के बीच देश के अन्य हिस्सों में कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई। कश्मीर में अब आतंकवादी पाकिस्तान से भेजे जा रहे हैं।


उन्होंने यह भी कहा कि कई आतंकवादी, जैसे दाऊद इब्राहिम और सैयद सलाहुद्दीन, कांग्रेस सरकार के समय भाग गए थे। अब यह राहुल गांधी का उत्तर देने का समय है कि ये लोग क्यों भागे।