अमलतास: एक चमत्कारी औषधि के रूप में 75 रोगों का इलाज
अमलतास का परिचय
★ अमलतास 💐🌻 75 रोगों की एक चमत्कारिक औषिधि है चाहे कुष्ट, टॉन्सिल हो या दाद, खाज-खुजली ★
▶ अमलतास (Pudding Pipe Tree, Cassia Fistula) 🌾🌻💐 एक विशालकाय पेड़ है, जिसकी ऊंचाई 25 से 30 फुट तक होती है। इसकी छाल मटमैली और हल्की लालिमा लिए होती है। यह पेड़ आमतौर पर बाग-बगिचों और घरों में सजावट के लिए लगाया जाता है। यह मैदानी क्षेत्रों और देहरादून के जंगलों में प्रचुरता से पाया जाता है। अमलतास के पत्ते लगभग एक फुट लंबे, चिकने और जामुन के पत्तों के समान होते हैं। मार्च-अप्रैल में इसकी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके फूल पीले और चमकीले होते हैं, जिनका व्यास डेढ़ से ढाई इंच होता है। फूलों की सुगंध नहीं होती है। अमलतास की फलियां एक से दो फुट लंबी और बेलनाकार होती हैं। कच्ची फलियां हरी होती हैं और पकने पर काली हो जाती हैं। फलियों में 25 से 100 हल्के पीले रंग के बीज होते हैं, जिनके बीच काला गूदा होता है, जो औषधीय उपयोग में आता है। इसकी छाल चमड़ा रंगने और रस्सी बनाने में भी काम आती है।
अमलतास के नाम विभिन्न भाषाओं में
विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत | आरग्वध, राजवृक्ष, नृपद्रुम, हेमपुष्प। |
हिंदी | अमलतास, धनबहेड़ा। |
मराठी | बाहवा। |
गुजराती | गरमालों। |
बंगाली | सोंदाल, सोनालु। |
पंजाबी | अमलतास, निर्दनली। |
तेलगू | रेलचट्टू |
कन्नड़ | कक्केमर। |
अरबी | खियारशम्बर। |
द्राविड़ी | कोन्नेभर, शक्कोनै। |
असमी | सोनास |
अंग्रेजी | पुडिंग पाइप ट्री |
लैटिन | कैसिया फिस्टुला |
अमलतास के गुण और उपयोग
गुण :
अमलतास का स्वाद मीठा, प्रकृति में ठंडा, भारी और चिकना होता है। यह कफनाशक और पेट साफ करने में सहायक है। यह बुखार, जलन, हृदय रोग, रक्तपित्त, वात रोग, दर्द, गैस, प्रमेह और मूत्र रोगों के लिए उपयोगी है। यह गठिया, गले की समस्याओं, आंतों के दर्द, रक्त की गर्मी और नेत्र रोगों में भी लाभकारी है।
रासायनिक संरचना :
अमलतास के पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड, तने की छाल में 10 से 20 प्रतिशत टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन के अलावा ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन और फल के गूदे में 60 प्रतिशत शर्करा, पेक्टिन, ग्लूटीन, क्षार, भस्म और पानी होता है।
हानिकारक प्रभाव :
अमलतास का औषधीय उपयोग करते समय पेट में दर्द और मरोड़ हो सकते हैं, इसलिए इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
अमलतास के विभिन्न रोगों में उपयोग
1. गले के रोग:
- अमलतास की जड़ की छाल 10 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए, तो छानकर दिन में 3 बार सेवन करें। इससे गले की सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
2. बिच्छू का विष: अमलतास के बीजों को पानी में घिसकर बिच्छू के दंश वाले स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।
3. बच्चों का पेट दर्द: अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास लेप करने से पेट दर्द और गैस में आराम मिलता है।
4. त्वचा से संबंधित रोग:
- अमलतास के पत्तों को सिरके में पीसकर लेप बनाने से दाद, खाज-खुजली और फोड़े-फुंसी में लाभ होता है।
5. मुखपाक (मुंह के छाले):
- अमलतास की गिरी को धनिए के साथ पीसकर चुटकी-भर कत्था मिलाकर चूसने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।
6. वमन (उल्टी) हेतु: अमलतास के 5-6 बीजों को पानी में पीसकर पिलाने से हानिकारक चीजें उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाती हैं।
7. पेशाब न होना: अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में पीसकर नाभि के निचले भाग पर लगाने से पेशाब खुलकर होता है।
8. कुष्ठ (कोढ़):
- अमलतास के पत्तों का लेप कुष्ठ, दाद, खाज-खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
9. त्वचा के चकत्ते: अमलतास के नर्म पत्तों को पीसकर लेप करें।
10. खुजली दूर करने के लिए: अमलतास के पत्तों को छाछ में पीसकर लेप करें और स्नान करें।