अमरनाथ यात्रा: पहलगाम हमले के बाद श्रद्धालुओं की भारी संख्या में वापसी

अमरनाथ यात्रा की शुरुआत
पहलगाम में हुए हमले के बाद से अमरनाथ यात्रा पर लोगों की नजरें टिकी हुई थीं। इस हमले ने कश्मीर के पर्यटन पर गहरा प्रभाव डाला है। अब यह देखना है कि क्या इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यात्रा पर आएंगे। कश्मीर पुलिस ने अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। अप्रैल में, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी। 38 दिनों की यह तीर्थयात्रा गुरुवार से शुरू हुई, और पहले दिन ही 12,000 से अधिक लोगों ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए।
पहले दिन की तीर्थयात्रा
अमरनाथ तीर्थयात्रा के पहले दिन, 12,348 श्रद्धालुओं ने 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर में पूजा की। अधिकारियों के अनुसार, इस संख्या में 9,181 पुरुष, 2,223 महिलाएं, 99 बच्चे, 122 साधु, सात साध्वी और आठ ट्रांसजेंडर शामिल थे। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस साल इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उम्मीद नहीं थी, खासकर 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में। इस साल यात्रा को सुचारू बनाने के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा उपाय किए गए हैं।
श्रद्धालुओं का उत्साह
अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में पहलगाम के नुनवान आधार शिविर और मध्य कश्मीर के गंदेरबल में सोनमर्ग के बालटाल आधार शिविर से तीर्थयात्री सुबह ही पवित्र गुफा की ओर बढ़े। 'बम बम भोले' और 'हर हर महादेव' के जयघोष के साथ तीर्थयात्री आगे बढ़े। गुजरात से आए एक श्रद्धालु ने कहा, 'बाबा ने हमें आशीर्वाद दिया है और चारों ओर उत्साह का माहौल है।'
सुरक्षा व्यवस्था
एक अन्य तीर्थयात्री ने कहा, 'यहां सुरक्षा के बहुत अच्छे इंतजाम हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं।' केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे भी बालटाल के रास्ते बाबा बर्फानी के दर्शन करने जा रही हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को जम्मू के भगवती नगर में यात्रा आधार शिविर से 5,892 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई। तीर्थयात्री दोपहर में कश्मीर घाटी पहुंचे, जहां प्रशासन और स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया।
तीर्थयात्रा का समापन
श्रद्धालु अमरनाथ मंदिर में पूजा करेंगे, जहां बर्फ से बना शिवलिंग प्राकृतिक रूप से प्रकट होता है। अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं, जिसमें पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बलों के हजारों जवान तैनात किए गए हैं। तीर्थयात्रा का समापन 9 अगस्त को होगा।