अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो का स्विट्जरलैंड में नया अध्याय

ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनेंगे
2019 के नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो 1 जुलाई 2026 से स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वे 'लेमन सेंटर फॉर डेवलपमेंट, एजुकेशन एंड पब्लिक पॉलिसी' की स्थापना करेंगे, जो गरीबी, विकास और सरकारी नीतियों पर अनुसंधान करेगा और छात्रों को शिक्षा प्रदान करेगा.
ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में कार्य करना
स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में काम करना शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। नोबेल पुरस्कार विजेता ये दो अर्थशास्त्री अगले वर्ष इस प्रतिष्ठित संस्थान में शामिल होंगे.
नए सेंटर का उद्देश्य
इस नए सेंटर का मुख्य उद्देश्य गरीबी और विकास पर अनुसंधान करना है, साथ ही सरकारी नीतियों को सुधारने में सहायता करना और छात्रों को शिक्षा देना है। इसके अलावा, यह ब्राजील के साथ सहयोग को भी बढ़ावा देगा.
अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो की पहचान
अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो पति-पत्नी हैं और दोनों विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। उन्हें 2019 में गरीबी कम करने के नए तरीकों के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे पहले अमेरिका की MIT यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे.
फंडिंग की जानकारी
इस परियोजना के लिए ब्राजील की लेमन फाउंडेशन ने लगभग 270 करोड़ रुपये का योगदान दिया है.
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की प्रतिक्रिया
ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के इकॉनॉमिक्स विभाग के चेयरमैन फ्लोरियन शूअर ने कहा, 'यह हमारी यूनिवर्सिटी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ये दोनों न केवल उत्कृष्ट अनुसंधान करते हैं बल्कि छात्रों को भी अच्छी तरह से सिखाते हैं.'
यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट माइकल शेपमैन ने कहा, 'हमें गर्व है कि दुनिया के सबसे प्रभावशाली अर्थशास्त्री हमारे साथ आ रहे हैं। वे केवल किताबी ज्ञान नहीं देते, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी काम करते हैं.'
अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रिया
अभिजीत बनर्जी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ज्यूरिख यूनिवर्सिटी उनके कार्य के लिए एक आदर्श स्थान होगी। वहीं, एस्थर डुफ्लो ने कहा कि नया लेमन सेंटर अनुसंधान, छात्रों को सिखाने और वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने में मदद करेगा.
पुराने कार्यों का निरंतरता
दोनों अर्थशास्त्री MIT यूनिवर्सिटी और पेरिस की संस्थाओं के साथ जुड़े रहेंगे और J-PAL नामक अपनी संस्था का संचालन भी जारी रखेंगे, जो गरीबी कम करने पर केंद्रित है.