अफगानिस्तान में बच्चा बाजी: एक कुप्रथा का भयावह सच
बच्चा बाजी की कुप्रथा
बच्चा बाजी एक ऐसी घिनौनी प्रथा है, जिसमें प्रभावशाली लोग लगभग 10 साल के लड़कों को पार्टियों में नृत्य करने के लिए मजबूर करते हैं। इन बच्चों को लड़कियों के कपड़े पहनाए जाते हैं और उन्हें मेकअप भी कराया जाता है। इसके बाद, इन छोटे लड़कों का यौन शोषण और बलात्कार किया जाता है।
ये बच्चे लगातार अत्याचार का शिकार होते हैं और इस भयानक स्थिति में फंसते जाते हैं। यह प्रथा केवल छोटे लड़कों तक सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार होता है। इसलिए, इस प्रथा के खिलाफ हमेशा से आवाज उठाई जाती रही है।
क्यों फंसते हैं बच्चे इस दलदल में?
जिन बच्चों को पार्टियों में नृत्य करने के लिए भेजा जाता है, वे अक्सर गरीबी के कारण इस काम के लिए मजबूर होते हैं। बेहतर जीवन की तलाश में ये बच्चे इस ओर आकर्षित होते हैं, और कई बार इन्हें अपहरण कर लिया जाता है और अभिजात वर्ग के लोगों को बेच दिया जाता है। इन बच्चों को इस काम के बदले केवल कपड़े और खाना मिलता है। अमीर लोग इन बच्चों को खरीदकर अपने अनुसार इस्तेमाल करते हैं।
इस विषय पर डॉक्यूमेंट्री का निर्माण
अफगानिस्तान में समलैंगिकता को गैर-इस्लामिक और अनैतिक माना जाता है, फिर भी बच्चा बाजी की प्रथा आम है। इन बच्चों को 'लौंडे' या 'बच्चा बेरीश' के नाम से जाना जाता है। इस प्रथा पर 2010 में 'द डांसिंग बॉयज ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान' नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई थी, जिसका निर्देशन अफगान पत्रकार नजीबुल्लाह कुरैशी ने किया था।
