अन्ना हजारे का 88वां जन्मदिन: जानें उनके जीवन की अनकही कहानियाँ
आज, 15 जून को अन्ना हजारे अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नायक माना जाता है। इस लेख में, हम उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं, उनके संघर्षों और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के बारे में जानेंगे। अन्ना ने नशे के खिलाफ मुहिम चलाई और कई पुरस्कार प्राप्त किए। उनके अनशन ने भारतीय राजनीति में एक नई लहर पैदा की। जानें उनके जीवन की अनकही कहानियाँ और उनके योगदान के बारे में।
Jun 15, 2025, 11:16 IST
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अन्ना हजारे का जन्मदिन
आज, 15 जून को, अन्ना हजारे अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें 21वीं सदी के प्रमुख भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का प्रतीक माना जाता है। अन्ना ने भारतीय जनता को नए अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने संघर्ष में खुद को तपाया। इसीलिए उन्हें 'आधुनिक भारत का गांधी' कहा जाता है। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
अन्ना हजारे का जन्म 15 जून 1937 को महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के एक छोटे से गांव भिंगर में हुआ। उनके पिता का नाम बाबूराव हजारे और मां का नाम लक्ष्मीबाई था। 1947 में, जब अन्ना केवल 9 वर्ष के थे, एक रिश्तेदार उन्हें पढ़ाई के लिए मुंबई ले गए, क्योंकि रालेगण सिद्धि में कोई प्राइमरी स्कूल नहीं था। आर्थिक कठिनाइयों के कारण, उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर मुंबई के दादर स्टेशन पर फूल बेचने का काम करना पड़ा।
भारतीय सेना में सेवा
छोटे कद के बावजूद, अन्ना हजारे ने 1963 में भारतीय सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, वे खेमकरण सेक्टर में तैनात थे, जहां दुश्मन ने जोरदार हमला किया। इस हमले में कई सैनिक मारे गए, लेकिन अन्ना ने मोर्चा संभाला और सुरक्षित रहे। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसके बाद उन्होंने समाज सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित करने का निर्णय लिया।
नशे के खिलाफ मुहिम
अन्ना हजारे ने अपने गांव के लोगों को शराब के खिलाफ शपथ दिलाई, जिसके परिणामस्वरूप गांव में 35 से अधिक शराब की दुकानों को बंद किया गया। उन्होंने एक युवा संघ की स्थापना की, जिसने शराब के उन्मूलन के लिए काम किया और सिगरेट तथा तंबाकू की बिक्री पर भी रोक लगाई।
सम्मान और पुरस्कार
अन्ना हजारे के सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें 1990 में पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। इसके बाद, 1992 में, उन्हें उनकी सामाजिक पहलों के लिए 'पद्म भूषण' पुरस्कार से भी नवाजा गया।
जन लोकपाल के लिए अनशन
अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई को 2011 में एक नई दिशा दी। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले, उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए अनशन किया। इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी और अन्य कई प्रमुख लोग शामिल हुए। अन्ना ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यदि अगस्त 2011 तक विधेयक पारित नहीं हुआ, तो वे आमरण अनशन करेंगे।
आंदोलन का परिणाम
हालांकि उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया, जिसके बाद अन्ना ने अन्न त्याग दिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत की। एक साल के संघर्ष के बाद, भारतीय संसद ने लोकपाल विधेयक को पारित किया। इस आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।