अनिल अंबानी का ED के समन पर नया प्रस्ताव: 100 करोड़ के हवाला मामले में स्थिति स्पष्ट

अनिल अंबानी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक नया प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने 100 करोड़ रुपये के हवाला मामले में जांच में सहयोग करने की इच्छा जताई है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। अंबानी का कहना है कि यह मामला 15 साल पुराना है और इसमें कोई विदेशी मुद्रा का लेन-देन नहीं हुआ। ED की जांच में संदेह है कि इस प्रोजेक्ट के तहत अवैध तरीके से पैसे भेजे गए हैं। जानें इस मामले में और क्या है खास।
 | 
अनिल अंबानी का ED के समन पर नया प्रस्ताव: 100 करोड़ के हवाला मामले में स्थिति स्पष्ट

अनिल अंबानी और ED के बीच चल रही खींचतान

अनिल अंबानी का ED के समन पर नया प्रस्ताव: 100 करोड़ के हवाला मामले में स्थिति स्पष्ट

अनिल अंबानी

हाल के दिनों में अनिल अंबानी और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बीच चल रही खींचतान ने एक नया मोड़ लिया है। जब अनिल अंबानी शुक्रवार को ED के समन पर उपस्थित नहीं हुए, तो बाजार और मीडिया में अटकलें तेज हो गईं। अब, रिलायंस एडीएजी समूह के चेयरमैन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जांच एजेंसी को एक प्रस्ताव पेश किया है। यह मामला विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) से संबंधित है, जिसमें अंबानी ने कहा है कि वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।


अनिल अंबानी का तर्क

‘घरेलू ठेका था, विदेशी मुद्रा का सवाल ही नहीं’ – अंबानी

अनिल अंबानी ने एक विशेष मीडिया विज्ञप्ति में मामले की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया है। उनके प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जिस मामले को लेकर ED इतनी सख्ती दिखा रहा है, वह वास्तव में 15 साल पुराना है, जो 2010 में जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से संबंधित है। अंबानी का कहना है कि 2010 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को जो कॉन्ट्रैक्ट मिला था, वह पूरी तरह से एक “घरेलू अनुबंध” था, जिसमें विदेशी मुद्रा का लेन-देन शामिल नहीं था।


ED की जांच और हवाला कनेक्शन

क्या है 100 करोड़ का ‘हवाला’ कनेक्शन?

हालांकि अनिल अंबानी इसे साधारण घरेलू मामला मानते हैं, लेकिन ED की नजर में यह मामला गंभीर है। जांच एजेंसी को संदेह है कि जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट के तहत लगभग 100 करोड़ रुपये अवैध तरीके से देश से बाहर भेजे गए। इसे तकनीकी भाषा में ‘हवाला’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है बिना बैंकिंग चैनल का उपयोग किए नकद रूप में पैसे का अवैध स्थानांतरण।


अनिल अंबानी की भूमिका

‘मैं तो सिर्फ नॉन- एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर था’: अनिल

अनिल अंबानी ने अपनी भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में केवल एक ‘गैर-कार्यकारी निदेशक’ थे। इसका मतलब है कि कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज में उनकी कोई सीधी जिम्मेदारी नहीं थी। इस तर्क के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि यदि कंपनी में कोई गड़बड़ी हुई है, तो उसके लिए सीधे तौर पर चेयरमैन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।


रिलायंस के शेयरों में गिरावट

रिलायंस के शेयरों में भारी गिरावट

पिछले छह महीनों के आंकड़ों के अनुसार, अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में लगभग 29.51% की गिरावट आई है, जबकि रिलायंस पावर और रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर क्रमशः 6.86% और 2.26% नीचे गिरे हैं।