अनंतनाग में शहीद हुए सैनिकों की वीरता को सलाम

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान लापता हुए दो भारतीय सैनिकों के शव बरामद कर लिए गए हैं। लांस हवलदार पलाश घोष और लांस नायक सुजय घोष की शहादत ने यह दर्शाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल दुश्मन ही नहीं, बल्कि प्रकृति भी एक बड़ा खतरा है। इस लेख में हम उनके बलिदान, सेना के बचाव अभियान और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा दी गई श्रद्धांजलि पर चर्चा करेंगे। क्या हम शहीदों के परिवारों को पर्याप्त सम्मान और सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं? जानिए इस लेख में।
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अनंतनाग में शहीद हुए सैनिकों की वीरता को सलाम

कोकरनाग में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हुए सैनिक

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान लापता हुए भारतीय सेना के दो बहादुर जवानों के शव मिल गए हैं। ये जवान, लांस हवलदार पलाश घोष और लांस नायक सुजय घोष, इस सप्ताह की शुरुआत में खराब मौसम के कारण गश्ती अभियान के दौरान संकट में पड़ गए थे। सेना ने बताया कि गुरुवार को एक जवान का शव बरामद किया गया, जबकि दूसरे का शव शुक्रवार को मिला।


मौसम की मार और शहीदों की वीरता

सेना के अधिकारियों के अनुसार, दोनों जवान ‘इलीट पैरा यूनिट’ से थे और कोकरनाग की किश्तवाड़ रेंज में आतंकवादियों की गतिविधियों की जानकारी पर अभियान चला रहे थे। अचानक मौसम खराब होने से घने कोहरे, बर्फबारी और तेज हवाओं के कारण संचार व्यवस्था टूट गई, जिससे दोनों जवानों से संपर्क नहीं हो सका। प्रारंभिक जांच में यह संभावना जताई गई है कि दोनों जवान अत्यधिक ठंड और बर्फीले तूफान के कारण हाइपोथर्मिया से शहीद हुए।


सेना का बचाव अभियान

सेना ने जवानों की खोज के लिए हवाई और जमीनी टीमें तैनात की थीं। चिनार कोर ने बताया कि बचाव कार्य में हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई, लेकिन ऊँचाई वाले बर्फीले इलाके में मौसम की स्थिति ने तलाशी को बेहद कठिन बना दिया। सेना की श्रीनगर स्थित 15 चिनार कोर इकाई ने एक भावनात्मक संदेश साझा करते हुए कहा, “चिनार कोर, कोकरनाग के किश्तवाड़ रेंज में अत्यधिक मौसम की स्थिति से जूझते हुए बहादुर लांस हवलदार पलाश घोष और लांस नायक सुजय घोष के सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करता है। उनका साहस और समर्पण हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।”


उपराज्यपाल की श्रद्धांजलि

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी दोनों सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “देश इन वीरों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। वे हमारे सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सच्चे नायक हैं।” सेना ने शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि “हम शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़े हैं और उनकी भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं।”


कठोर मौसम की चुनौतियाँ

हाल के दिनों में घाटी में तापमान में तेज गिरावट आई है। सोमवार के बाद से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हुई बर्फबारी के कारण तापमान में लगभग 10 डिग्री सेल्सियस की कमी आई है, जिससे सैनिकों को अभियान चलाने में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दोनों सैनिकों का बलिदान इस बात की याद दिलाता है कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में दुश्मन केवल गोलियाँ नहीं, बल्कि कठोर प्रकृति भी हो सकती है।


सैनिकों की कठिनाइयाँ और सम्मान

लांस हवलदार पलाश घोष और लांस नायक सुजय घोष की शहादत केवल दो सैनिकों की मृत्यु की खबर नहीं है— यह उन अनगिनत बलिदानों का प्रतीक है जो देश की सीमाओं पर प्रतिदिन होते हैं। जब हम “आतंकवाद विरोधी अभियान” की बात करते हैं, तो अक्सर दुश्मन के साथ मुठभेड़ की तस्वीर सामने आती है, लेकिन कोकरनाग की यह घटना बताती है कि कभी-कभी सबसे बड़ा शत्रु प्रकृति होती है।


भविष्य की तैयारी

भारतीय सेना के जवान न केवल आतंकियों से लड़ते हैं, बल्कि बर्फ़, अंधे तूफानों और शून्य से नीचे तापमान से भी जूझते हैं। ऐसे अभियानों में उनका साहस और अनुशासन ही उन्हें जीवित रखता है। यह स्पष्ट है कि अत्यधिक मौसम में अभियान की तैयारी, संचार प्रणाली और आपात राहत व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता है। तकनीकी उपकरणों और मौसम निगरानी प्रणालियों को इस प्रकार के अभियानों में अधिक प्रभावी ढंग से एकीकृत किया जाना चाहिए।


शहीदों की विरासत

इन शहीदों का बलिदान हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम उनके परिवारों को पर्याप्त सहयोग, सुरक्षा और सम्मान प्रदान कर रहे हैं? देश की सुरक्षा के लिए जान देने वाले सैनिकों का ऋण कोई चुका नहीं सकता, लेकिन उनकी विरासत को सम्मानपूर्वक संरक्षित रखना ही राष्ट्र की सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कोकरनाग के पहाड़ों में गिरी यह बर्फ़ हमारे वीरों की यही कहानी कहेगी कि भारत के सिपाही न केवल गोलियों से, बल्कि प्रकृति के प्रकोप से भी लड़ते हैं, और हर बार विजेता वही होता है जिसे हम “भारतीय सैनिक” कहते हैं।