अदाणी एंटरप्राइजेज के खिलाफ पत्रकारों को मिले हटाने के आदेश पर एडिटर्स गिल्ड की चिंता

अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड से संबंधित गैर सत्यापित और मानहानिकारक सामग्री को हटाने के आदेश पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता व्यक्त की है। दिल्ली की अदालत ने नौ पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को ऐसी सामग्री हटाने का निर्देश दिया है। गिल्ड ने इसे सेंसरशिप की ओर एक कदम बताया है और कहा है कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। यूट्यूब और इंस्टाग्राम को भी हटाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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अदाणी एंटरप्राइजेज के खिलाफ पत्रकारों को मिले हटाने के आदेश पर एडिटर्स गिल्ड की चिंता

अदाणी एंटरप्राइजेज से संबंधित सामग्री हटाने का आदेश

कई पत्रकारों और कंटेंट निर्माताओं ने बताया है कि उन्हें अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) से जुड़ी गैर सत्यापित और मानहानिकारक सामग्री को हटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और सरकार से नोटिस प्राप्त हुए हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस स्थिति को चिंताजनक बताया है।


गिल्ड ने दिल्ली की एक अदालत के हालिया आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसमें नौ पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और संगठनों को एईएल के बारे में गैर सत्यापित और मानहानिकारक रिपोर्टों को प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही, ऐसी सामग्री को पांच दिनों के भीतर हटाने का भी आदेश दिया गया है।


गिल्ड ने एक बयान में कहा, 'सबसे चिंताजनक यह है कि यह आदेश कॉर्पोरेट इकाई को किसी भी मानहानिकारक सामग्री के यूआरएल और लिंक को सोशल मीडिया कंपनियों या सरकारी एजेंसियों को भेजने का अधिकार देता है, और उन्हें 36 घंटे के भीतर इसे हटाने के लिए बाध्य करता है।'


एडिटर्स गिल्ड ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कार्रवाई को भी गंभीर चिंता का विषय बताया है, जिसने यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नोटिस जारी कर 138 से अधिक यूट्यूब लिंक और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट को हटाने का आदेश दिया है।


गिल्ड ने कहा कि किसी कॉर्पोरेट इकाई को दी गई इतनी व्यापक शक्तियां और हटाने के निर्देशों में सरकारी हस्तक्षेप, सेंसरशिप की ओर एक कदम है।


गिल्ड ने यह भी कहा, 'एक स्वतंत्र और निडर प्रेस लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। कोई भी व्यवस्था जो निजी हितों को आलोचनात्मक या असहज आवाजों को चुप कराने की अनुमति देती है, वह जनता के जानने के अधिकार के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।'


यूट्यूब चैनल 'देशभक्त' के संचालक आकाश बनर्जी ने कहा कि उन्हें और अन्य स्वतंत्र यूट्यूबर्स को बिना किसी विरोध का अवसर दिए 200 से अधिक सामग्री हटाने के लिए 36 घंटे का समय दिया गया है।