अजरबैजान-आर्मेनिया समझौते पर ईरान की चिंता और अमेरिका की भूमिका

अमेरिका और तुर्की द्वारा काकेशस क्षेत्र में प्रस्तावित व्यापारिक गलियारे के निर्माण की योजना पर ईरान की चिंताएँ बढ़ गई हैं। वेलायती ने इसे आर्मेनिया की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ एक राजनीतिक विश्वासघात बताया है। समझौते में शामिल कॉरिडोर ईरान के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक खतरे उत्पन्न कर सकता है, जिससे उसकी क्षेत्रीय पहुंच कमजोर होगी। ईरान के सुप्रीम लीडर के सलाहकार ने इसे रोकने की अपील की है। इस लेख में हम इस जटिल स्थिति का विश्लेषण करेंगे।
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अजरबैजान-आर्मेनिया समझौते पर ईरान की चिंता और अमेरिका की भूमिका

काकेशस क्षेत्र में व्यापारिक गलियारे की योजना

अमेरिका और तुर्की लंबे समय से काकेशस क्षेत्र में एक व्यापारिक गलियारा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वे ईरान को दरकिनार कर सकें। वेलायती ने इस शांति समझौते में शामिल परिवहन गलियारे का उल्लेख करते हुए कहा, "यह मार्ग ट्रंप के भाड़े के सैनिकों के लिए प्रवेश द्वार नहीं बनेगा, बल्कि यह उनका कब्रिस्तान बन जाएगा।" उन्होंने इसे आर्मेनिया की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के लिए एक "राजनीतिक विश्वासघात" बताया है.


समझौते में शामिल कॉरिडोर

व्हाइट हाउस में हाल ही में हुए अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच समझौते में एक ऐसा मार्ग शामिल है, जो आर्मेनिया से होकर गुजरता है और अजरबैजान को नखचिवन से जोड़ता है। यह क्षेत्र तुर्की की सीमा के निकट स्थित है और ट्रांस-काकेशियन पठार पर स्थित है। नखचिवन चारों ओर से अर्मेनिया, ईरान और तुर्की से घिरा हुआ है.


ईरान की चिंताएँ

ईरान ट्रांस-काकेशियन में प्रस्तावित ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर के खिलाफ है, क्योंकि यह उसकी भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इस कॉरिडोर के निर्माण से ईरान का आर्मेनिया से सीधा संपर्क टूट सकता है, जो उसके लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। इसके अलावा, यह ईरान की क्षेत्रीय पहुंच को भी कमजोर करेगा। हाल के समय में, अजरबैजान और नखचिवन के बीच व्यापार के लिए ईरान का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मार्ग रहा है, और इस कॉरिडोर के बनने से यह मार्ग बाईपास हो जाएगा, जिससे ईरान का प्रभाव कम होगा.


ईरान की सुरक्षा चिंताएँ

ईरान को यह भी चिंता है कि यह कॉरिडोर अमेरिका और नाटो की सैन्य उपस्थिति को उसकी उत्तरी सीमाओं तक बढ़ा सकता है, जिसे वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। ईरान के सुप्रीम लीडर के सलाहकार अली अकबर वेलायती ने इसे 'भू-राजनीतिक साजिश' करार देते हुए इसे रोकने की अपील की है.