अगस्तावेस्टलैंड मामले में जमानत शर्तों में संशोधन की मांग पर अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

राउज़ एवेन्यू अदालत ने क्रिश्चियन मिशेल जेम्स द्वारा दायर जमानत शर्तों में संशोधन की मांग पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जेम्स, जो अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में आरोपी हैं, 2018 से हिरासत में हैं। अदालत 23 दिसंबर को इस मामले में अपना निर्णय सुनाएगी। सीबीआई का तर्क है कि जेम्स पर जालसाजी का आरोप भी है, जिसके तहत अधिकतम सजा आजीवन कारावास हो सकती है।
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अगस्तावेस्टलैंड मामले में जमानत शर्तों में संशोधन की मांग पर अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

अदालत ने जमानत शर्तों पर फैसला सुरक्षित रखा

राउज़ एवेन्यू अदालत ने सोमवार को क्रिश्चियन मिशेल जेम्स द्वारा दायर आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जेम्स ने अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में जमानत की शर्तों में बदलाव की मांग की है। ब्रिटिश नागरिक जेम्स, जो कि इस हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़े सीबीआई मामले में आरोपी हैं, 4 दिसंबर, 2018 से हिरासत में हैं। उनकी गिरफ्तारी दुबई से प्रत्यर्पण के बाद हुई थी।


विशेष न्यायाधीश संजय जिंदल ने आरोपी के वकील और विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।


अदालत का अगला फैसला

अदालत 23 दिसंबर को इस मामले में अपना निर्णय सुनाएगी। इससे पहले, अदालत ने क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर दुर्घटना से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिहा करने का आदेश दिया था। जेम्स ने बताया कि उन पर लगे आरोपों के लिए उन्हें अधिकतम 7 साल की सजा काटनी पड़ी है।


हालांकि, सीबीआई का तर्क है कि जेम्स पर आईपीसी की धारा 467 के तहत जालसाजी का आरोप भी लगाया गया है, जिसके तहत अधिकतम सजा आजीवन कारावास हो सकती है।


प्रत्यर्पण अनुरोध पर विवाद

जेम्स के वकील ने यह भी तर्क किया कि आईपीसी की धारा 467 के तहत अपराध का उल्लेख प्रत्यर्पण अनुरोध में नहीं किया गया था। गृह मंत्रालय द्वारा भेजा गया प्रत्यर्पण अनुरोध इस मामले में विदेश मंत्रालय द्वारा भेजा गया था। अभियोजन पक्ष ने इस तथ्य का उल्लेख न्यायालय के समक्ष नहीं किया।


आरोपी के वकील ने यह भी कहा कि जीवन और स्वतंत्रता का प्रश्न दांव पर है, क्योंकि आरोपी बिना किसी मुकदमे के लंबे समय से हिरासत में है।