अखिलेश यादव और चुनावी अनियमितताओं पर डीएम का जवाब

अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में गड़बड़ियों के आरोप लगाए हैं। तीन जिलों के जिलाधिकारियों ने उनके आरोपों का खंडन किया है। इस राजनीतिक विवाद में नया मोड़ तब आया जब डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। जानें इस मामले में क्या हुआ और अखिलेश यादव ने क्या प्रतिक्रिया दी।
 | 
अखिलेश यादव और चुनावी अनियमितताओं पर डीएम का जवाब

राजनीतिक विवाद में नया मोड़

अखिलेश यादव और चुनावी अनियमितताओं पर डीएम का जवाब


भारत में इस समय वोट चोरी के आरोपों का मुद्दा गरमाया हुआ है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी बिहार में वोट अधिकार यात्रा का आयोजन कर रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनी आवाज बुलंद की है। इस राजनीतिक संघर्ष में अब एक नया मोड़ आया है, जब यूपी के तीन जिलों के कलक्टर ने अखिलेश यादव के आरोपों का जवाब दिया है। हाल ही में, अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर जानकारी साझा की थी कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में गड़बड़ियों की 18,000 शिकायतें शपथपत्र के माध्यम से दर्ज कराई थीं। चुनाव आयोग अक्सर विपक्षी दलों पर आरोप लगाता है कि वे बिना शपथपत्र के शिकायतें कर रहे हैं। अखिलेश ने चुनाव आयोग को भेजी गई शिकायत की पावती दिखाते हुए कहा कि इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।


जिलाधिकारियों का स्पष्टीकरण

इस मामले में असली मोड़ तब आया जब जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के जिला मजिस्ट्रेटों ने 2022 के विधानसभा चुनावों से जुड़े आरोपों का खंडन किया। तीनों जिलों के डीएम ने अखिलेश यादव के 17 अगस्त के पोस्ट का हवाला देते हुए उनके आरोपों का जवाब दिया। कासगंज के डीएम प्रणय सिंह ने कहा कि उन्हें 8 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से काटने की शिकायत मिली थी, लेकिन जांच में पाया गया कि 7 मतदाताओं के नाम सूची में दो बार थे।


जौनपुर के डीएम दिनेश चंद्र ने बताया कि 5 मतदाताओं के नाम काटने की शिकायत मिली थी, लेकिन सभी मृतक थे और उनके नाम सही तरीके से हटाए गए थे। बाराबंकी के डीएम शशांक त्रिपाठी ने कहा कि उनके जिले में दो मतदाताओं के नाम काटने की शिकायत आई थी, लेकिन जांच में पाया गया कि दोनों के नाम सूची में मौजूद हैं।


अखिलेश यादव का पलटवार

जैसे ही तीनों डीएम के स्पष्टीकरण सामने आए, अखिलेश यादव ने फिर से पलटवार किया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भाजपा सरकार ने 18,000 शपथपत्रों में से एक का भी सही जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को आगे करके चुनाव आयोग नहीं बच सकता और इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि नाम काटने के समय जो 'मृतक प्रमाणपत्र' लगाए गए थे, वे कहां हैं।