अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का प्रेरणादायक सफर और अनुभव

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने बचपन की शर्मीली प्रवृत्ति और राकेश शर्मा की कहानियों से प्रेरित होकर अंतरिक्ष यात्रा की। उन्होंने ‘एक्सिओम-4 मिशन’ के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की। शुक्ला ने छात्रों को प्रेरित किया और अपने प्रशिक्षण के दौरान के अनुभवों को साझा किया। उनका यह सफर न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति उत्साह को भी दर्शाता है।
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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का प्रेरणादायक सफर और अनुभव

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रविवार को साझा किया कि उनका बचपन “शर्मीला और संकोची” था, और उन्होंने राकेश शर्मा की 1984 की अंतरिक्ष यात्रा की कहानियों को सुनकर बड़ा होना पसंद किया। शुक्ला, जो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं, ने दिल्ली के सुब्रतो पार्क में स्कूली छात्रों से मुलाकात की और उन्हें प्रेरित किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्ला और ‘गगनयान’ मिशन के लिए चयनित अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को सम्मानित किया। शुक्ला, जिन्हें उनके दोस्तों द्वारा ‘शुक्स’ के नाम से जाना जाता है, ने भारतीय वायु सेना में शामिल होने के अपने सफर और ‘एक्सिओम-4’ मिशन के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा के अनुभवों को साझा किया।


अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले, ‘एक्सिओम-4’ के चालक दल के सदस्यों ने कृत्रिम वातावरण में जीवित रहने के परीक्षण किए, फोटोग्राफी सीखी और टीम भावना को बढ़ाने के लिए मैक्सिको के तट पर ‘कायकिंग’ का अनुभव लिया। ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि अंतरिक्ष के लिए रवाना होने से पहले ‘एक्सिओम-4 मिशन’ कई बार स्थगित हुआ, और अंततः 25 जून को ‘ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान को अमेरिका के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षिप्त किया गया।


प्रक्षेपण के अनुभव को याद करते हुए शुक्ला ने कहा, ‘‘यह इतना शक्तिशाली था कि यह आपके शरीर की हर हड्डी को हिलाकर रख देता है। आप 8.5 मिनट में शून्य से 28,500 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर पहुंच जाते हैं, जो इसकी तीव्रता को दर्शाता है।’’ अंतरिक्ष यान के प्रक्षिप्त होने पर भारत और विश्वभर के लोगों ने इस मिशन का उत्साह बढ़ाया। लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने इस मिशन को ‘‘बेहद रोमांचक’’ बताया और अपने 20-दिवसीय अंतरिक्ष प्रवास के अनुभव साझा किए।


उन्होंने कहा, ‘‘जब आप अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाते हैं, तो आप वास्तव में एक नए घर में रहते हैं, जिसके अपने नियम और शर्तें होती हैं।’’ उन्होंने मजाक में कहा कि अंतरिक्ष में शौचालय जाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। शुक्ला 10 अक्टूबर को 40 वर्ष के हो जाएंगे और 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे। उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 जैसे विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है।


अंतरिक्ष यात्रा ने उन्हें एक नया अनुभव दिया है और अब वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। उन्होंने स्कूली छात्रों को ऑटोग्राफ दिए और कार्यक्रम में अपने साथी वायुसेना कर्मियों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। छात्रों में अंतरिक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति उत्साह देखकर उन्हें खुशी हुई। ‘एक्सिओम-4 मिशन’ में उनका योगदान एक मिशन पायलट के रूप में था, जिसमें अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन और अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल थे।


शुक्ला ने प्रशिक्षण के दौरान अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, ‘‘पिछले एक साल का अनुभव अद्भुत रहा है।’’ उन्होंने जीवन विज्ञान, कृषि, अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी और बोधात्मक अनुसंधान के क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व वाले सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोग किए। अपने संबोधन में उन्होंने अंतरिक्ष से भारत के दृश्यों की एक छोटी क्लिप भी साझा की, जिसे उन्होंने कैमरे में कैद करने की कोशिश की थी।


उन्होंने कहा, ‘‘भारत वास्तव में बहुत खूबसूरत दिखता है।’’ शुक्ला ने खगोलीय अनुभव को याद करते हुए कहा कि कक्षा से, चालक दल ने दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा और ‘‘आप इससे कभी ऊबते नहीं हैं।’’